आज हिंदी समाचार पत्र अमर उजाला पड़ रहा था, और इस समाचार पत्र के पन्ने पलटते हुए सहसा मेरी दृष्टि एक खबर पर पड़ी, कि "नानी,दादी के नुस्खे लिपिबद्ध होंगे", पड़ कर हर्ष हुआ, समाचार पत्र में वर्णन पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश जी ने कहा है, कि नानी दादी के नुस्खे अधिकतर मोखिक हैं उनको लिपिबद्ध किया जायेगा, चिकत्सा क्षेत्र के आयुर्वेदिक ज्ञान को लिपिबद्ध किया जायेगा, और इनको पेटेंट भी किया जायेगा जिससे इस हमारे देश को लाभ होगा, लिपिबद्ध ना होने के कारण यूरोप के देश और अमरीका इन नुस्खो को पेटेंट करा के लाभ उठा रहें हैं, (इस खबर के लिए देखें आज का दैनिक समाचार पत्र अमर उजाला दिनांक 5 जनबरी 2010 ).
आज सुबह इसी विषय पर संगीता जी का लेख भी पड़ा था, और मुझे यह पड़ कर अच्छा लगा,आखिरकार हमारी सरकार का ध्यान इस ओर गया, में सामायिक विषयों पर कदाचित ही लिखता हूँ,हाँ समाचार पत्रों में छपी ख़बरों को पड़ अवश्य लेता हूँ, परन्तु इस खबर की ओर धय्नाकर्षण हुआ और मुझे यह लेख लिखने को प्रेरित किया, हमारे इस देश में अनेकों प्रतिभाएं हैं,जो लोप होती जा रहीं हैं, और कुछ तो लुप्त हो गयीं हैं, जैसे कि यह परसिद्ध हैं,ढाका जो अब बंगला देश में हैं, उसके कारीगरों के द्वारा बनाई गयी मलमल इतनी बारीक़ होती थी, कि एक पूरा थान एक अंगूठी के अन्दर से निकल जाये, इसके बारे में एक किवदंती परसिद्ध है कि, मुग़ल शासक औरंगजेब की बेटी को इस मलमल की सात सतह बना कर पहनाया गया था,और फिर भी इस वस्त्र में उसके अंग दिखाई दे रहे थे, कुछ दिन पहले मैंने हैदराबाद का गोलकुंडा किला देखा था, उस किले की विशेषताओं में से एक विशेषता थी, जब किले के नीचे प्रवेश द्वार पर जब गाईड ताली बजाता था,तो वोह ताली किले की सबसे ऊँचा स्थान जो कि प्रवेश द्वार से बहुत ऊंचाई पर था वहाँ पर भी सुनाई देती थी |
में तो कहता हूँ सरकार को एक ऐसा बीभाग बनाना चाहिए जो हमारी प्राचीन धरोअर की खोज करे और उसका प्रसार,प्रचार करे |
अंत में इसी बात से अपनी लेखनी को यहाँ विराम देता हूँ, कितना अच्छा हो, यह हमारा भारत देश अपनी परम्परागत विद्याओं और आधुनिक विज्ञान के सम्मिश्रण से समृद्ध हो |
4 टिप्पणियां:
देर से ही सही; किसी को सद्बुद्धि आयी - खुशी की बात है।
में तो कहता हूँ सरकार को एक ऐसा बीभाग बनाना चाहिए जो हमारी प्राचीन धरोअर की खोज करे और उसका प्रसार,प्रचार करे | मुझे तो महसूस होता है कि सरकार सिर्फ घोषणा करती है .. चारो ओर बिखरी पडी बौद्धिक संपदा को सुरक्षित करने के लिए चिंतित नहीं है !!
सुखद समाचार है.
देर आयद दुरुस्त आयद!
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