हमारे देश भारत में, नारी किस प्रकार से अपने परिवार के लिए समर्पित हैं, वोह एक सच्ची कहानी के रूप में,लिखने का प्रयास कर रहा हूँ, निशा और अलोक के विवाह को शायद ३० वर्ष से ऊपर हो चुके हैं, निशा एक स्कूल में नौकरी करती है, और स्कूल जाने से पहेले, और आने के बाद अंग्रजी की १०वीं,और १२ वीं कक्षा के बच्चो को टूशन पढाती है।
इसी से उसके घर का खर्चा चलता है, और रात को निढाल सी हो कर सो जाती है, और फिर अगले दिन भी येही क्रम बस शनिवार और रविवार को बच्चो को नहीं पढाती है,परन्तु शनिवार को स्कूल तो जाना ही पड़ता है, निशा अपने जीवन के ५० वर्ष के ऊपर हो चुकी है, और अलोक निशा से दो साल बड़े हैं, कोई १५ वर्ष हो चुके हैं,अलोक का कोई कमाई का साधन नही है, घर संसार निशा की कमाई पर ही चलता है, उम्र के इस पड़ाव पर स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याए तो हो ही जाती हैं, तो जाहिर सी बात है डॉक्टरों के खर्चे का वाहन निशा ही करती है।
अलोक अच्छे पद पर आसीन थे, और बहुत सी प्राइवेट संस्थाओं में काम कर चुके हैं, परन्तु अपने भोले और सहकर्मियों की चाले ना समझने के कारण नौकरियां बदलते रहे, आखिर यह क्रम कबतक चलता आखिरकार उनको घर बैठना पड़ा, यह भी अच्छा हुआ की अलोक जब नौकरी करते थे, निशा ने बी एड कर लिया था, और बहुत से स्कूलों में पढाती रही, अनुभव तो होता ही रहा, और अंत में एक प्रतिष्ठित स्कूल में पडाने लगी, और आय अच्छी हो गयी, तो वोह अपने परिवार का खर्चा उठाने के काबिल हो गयी, अलोक के खाली रहते हुए ही इन्ही १५ वर्षो के अन्दर उसकी बेटी का विवाह तय हो गया, अलोक जी के पास तो पी ऍफ़ में एक लाख रुपयों के अतिरिक्त तो कुछ बचा नहीं था, अब बेटी की शादी में किस प्रकार खर्चा हो यह सवाल मुँह बाये खड़ा था, तो इस समस्या का समाधान अधिकतर निशा के पिता जी और उसके सगे संबंधियों ने निशा और अलोक की बेटी की शादी में पैसा खर्च किया, अलोक जी के माँ,बाप के पास इतना पैसा नहीं था, की वोह अपनी पोती के विवाह में खर्च कर सकें, वोह भी अलोक को उसके खाली होने के समय अपने पैसे का अधिकतर भाग दे चुके थे, अलोक जी के पी ऍफ़ के एक लाख रुपयों,निशा के माँ,बाप और उसके सगे,सम्बोंधियो द्वारा निशा और अलोक की बेटी का विवाह धूम,धाम से हो गया।
भाग्य से उनको दामाद भी अच्छा मिल गया, जो की निशा और अलोक का एक बेटे की तरह ख्याल रखता है।
निशा के पैरो और घुटने मैं दर्द रहता है, परन्तु उसका स्कूल मै पडाने और टूशन का सिलसिला अनवरत चल रहा है।
अलोक और निशा के घर में एक काम करने वाली भी हैं, जिसका पती तो रिक्शा चलता है, कभी चलाता और कभी नहीं, और वोह काम करने वाली भी जगह,जगह पर झाडू, चोका बर्तन कर के अपने परिवार का भरण पोषण करती है।
फिर आज के युग में,नारी को अभिशाप क्यों समझा जाता हैं, हाँ यह भी सच है कि आज के युग में नारी पुरूष के साथ कंधे से कन्धा मिला कर साथ दे रही है।