माता रानी से प्रार्थना
सर्व मंगल मांगलेय शिवे सर्वार्थ साधिके शरन्ये त्रियम्बके।
शरनेय त्रियम्बके गौरी,नारयणी नम्सतुते॥
"आप का कितना सुन्दर शलोक है,है सब के मंगल की कामना करने वाली,तीन चक्षु वाली माता,आपको नमस्कार है",और आपके इस धरा पर इस बार आगमन ऐसे शुभ समय पर हो रहा है,जबकि आप के आने से दो दिन पहले यहाँ पर देवताओं के मुख्य अभियन्ता विश्वकर्मा जी आये थे,और आपके पवित्र नवरातों में ईद की खुशियां भी मनेगीं,कितना सुन्दर संयोग है, हम अपने पितरों को आपके आने से पहले सदा की भातिं श्रद्धापुर्बक पितर लोक के लिये,प्रस्थान करा चुके होगें,और स्थान,स्थान पर मर्यादा पुर्षोत्तम श्री राम की रामलीला का संचालन हो रहा होगा जब आपका इस धरती पर आगमन होगा।
माता रानी आपके शस्त्र धारण करने का कारण यही है,दुष्टों का विनाश करके भक्तो को अभयदान प्रदान करना,आप तो अपनी एक हुकांर से राक्षसों का विनाश कर सकतीं हैं,परन्तु आप का कितना सुन्दर विचार हे,आप के शस्त्रों द्वारा मारे जाने पर राक्षस भी उत्तम लोकों को जायें।
(दुर्गासप्तशती से उद्दरित)
आप के मन्त्र इतने सशक्त हैं कि भोलेनाथ को आपके मन्त्रो को कीलीत करना पड़ा,क्योंकी दुष्ट प्रक्रती के लोग इनका लाभ ना उठा लें,आप ही शिव की शिवा अर्थार्थ शिव के प्राण हो,विना आपके शिव शव हैं,आप ही इस स्रिष्टी की रचेयीता हो,माँ आपने वरह्मा जी के कर्ण से उतप्न हुये मधु,कैटभ का संहार विष्णु भगवान द्वारा करवाया, जो कि काम और क्रोध के प्रतीक हैं,माता रानी अब तो इस संसार में,अनेकों मधु,कैटभ के रूप में बुराईयों ने जन्म ले लिया है,उनका विनाश करो, माता रानी आपने महिषासासुर का विनाश किया,जो कि एक से दूसरी बुराई के जन्म लेने का प्रतीक है,आप की इस स्रिष्टी में,अनेको प्रकार के महिषासुर उतपन्न हो गयें हैं,माँ इन महिषासुरों का विनाश करो,आप ने रक्त्बीज जिसकी रक्त की बूदं गिरने पर उसी प्रकार के और असुर उतपन्न हो जाते थे,उस रक्तबीज का आपने संहार किया,यह प्रतीक है,एक बुराई दूसरी बुराई को जन्म देने का,इस प्रकार के अनेकों रक्तबीज इस प्रिथ्वी पर है, माँ उन रक्तबीजो का संहार करो,इस प्रकार अनेकों राक्षसों का आपने संहार किया,जो कि बुराई का प्रतिरूप थे,आज तो बुराई के रूप में अनेकों राक्षस उत्पन्न हो गयें हैं,माँ उनका समूल नाश करो।
आप के पवित्र नवराते जो कि नों दिन चलेगें,उन नवरात्रों में लोग संयम रखेंगे,और उपवास रखेंगें,माता रानी आपसे करव्ध विनती है,यह संयम सब लोग अपने जीवन में सदा के लिये उतार लें,आप ने नो दिन की पूजा और रात भर जागरण की बहुत ही,सुन्दर सौगात दी है,और इन नो दिनों के प्रारम्भ में,लोग अपने,अपने घरों में जौ बीजेगें,जो की जितने बड़गें,उतनी ही खुशहाली का संकेत है,इस वर्ष सबके घर में यह जौ अत्याधिक बड़े,बड़े हों,यह कामना करता हूं,इन्ही नवरात्रो में गुजरात का प्रसिध गरबा प्रारम्भ हो जाता है,जिसमें अम्बे माँ की पूजा भी सम्मिलित है,इतना रमणीक है,आपका आगमन,वैसे तो आप कण,कण में विदयामान है,आपके इस धरा पर नों पवित्र स्थान हैं,और आप के इन पवित्र नों दिनों के पश्चात आयेगा,बुराईयों पर अच्छाई की विजय करने वाला त्योहार दशहरा, आप का इतना सुन्दर प्रस्थान होगा,आप सबकी माँ हो,सब की कल्याण करने वाली माँ, बस अन्त में यही कहुगाँ,"पूत कपूत हो सकतें हैं,माता हो नहीं हो सकती कुमाता"।
बस अन्त में आपसे करब्ध निवेदन है,"अपने इस मन्त्र की लाज रखना।
सर्बमंगल मांगलेय शिवे सर्वाध साधिके।
शरनेय त्रियम्ब्के नारायणी नमस्तुत॥
आप सब को नवरात्रे मंगलमय हों,माँ आप सभी लोगों को सुख समपन्न करें।
सब भाई बहनों,बच्चों,सगीं,साथियों,बुज़ुर्गों और पाठकों को जय माता की॥
1 टिप्पणी:
माता रानी से आपकी प्रार्थना व्यर्थ नहीं जाएगी, आपको भी नवरात्रि के इस पर्व पर शुभकामनाएं ।
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