यह लेख में प्रारंभ कर रहा हूँ, अत्यधिक विघयात चलचित्र स्लम डोग मिल्लिओनोरे से, हमरे मुंबई शहर की झुग्गी झोपड़ी की गरीबी पर विदेशी चलचित्र बना देते हैं,और इस चलचित्र को अनेकों सम्मानित ओस्कार इनाम मिल जाते हैं, हाँ यह तो सच इस फ़िल्म के कलाकार रुबीना और अझर भी विश्विघ्यात हो जाते हैं, इससे क्या विश्व को सन्देश मिला कि, हमारे देश में गरीबी है |
लेकिन आज के युग में,मुझे कोई ऐसी फ़िल्म नहीं याद आती,जिसमें हमारे देश कि संस्कृति का विश्व में प्रचार हुआ हो, केवल एक ही फ़िल्म याद आती है, रिचर्ड अटएनबरो द्वारा निर्देशित,और बेन किंग्सले द्वारा अभिनीत गाँधी,हाँ उस चलचित्र में गाँधी जी के आदर्शो के बारे में बताया था,लेकिन यह बहुत पुरानी बात हो गयी है, नयी पीड़ी का आगमन होता रहता है,उन लोगों को अपनी पुरानी संस्कृति का आभास नहीं हो पाता,और पुरानी पीड़ी के भी मानसपटल पर छबी धूमिल होती जाती है |
आज कल तमाम समाचार पत्रों में, सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं में,आरोप,आक्षेप और पर्तिअक्षेप का ही सिलसिला चलता रहता है, सत्ता पक्ष और विपक्ष कभी भी एकमत होते नहीं देखे जाते, और हमारे इन समाचार पत्रों को हमारे देश में आने वाले विदेशी भी पड़ते हैं, और इसका उन पर क्या प्रभाव पड़ता होगा,कोई भी सोच सकता है, हमारे यहाँ के सद्भाव को तो यह गोण ही कर देता है |
हमारे देश के महान ग्रन्थ हैं,रामायण और गीता,और जिनको विदेशों में मिथ कहा जाता है,और इस देश में भी विवाद हो जाता है, इनके चरित्र मिथक अर्थात कोरी परिकल्पना है, और यह ग्रन्थ मिथ हैं,मतलब की कोरी गप्प, तो हम इसके वारे में विश्व को कैसे बताएँगे? रामायण में मर्यादा पुरषोत्तम राम का चरित्र है, अगर हमारे देश में इस ग्रन्थ पर विवाद होगा तो हम उसके आदर्शो को कैसे विश्व को बताएँगे?
गीता में कृष्ण भगवान् द्वारा अर्जुन को दिया हुआ गीता का ज्ञान है, जब कौरवों और पांडवों की सेना आमने सामने हो गयी,और अर्जुन अपने गुरुओं,चचरे भाईओं को देख कर अपना गांडीव उठा कर रख दिया,तब श्री कृष्ण भगवान् पार्थ के रथ को रणभूमि में दोनों सेनाओं के मध्य में ले गए तब उन्होंने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था, श्री कृष्ण भगवान् ने कहा,जो में तुमको यह ज्ञान दे रहा हूँ,वोह मैंने तुमसे पहले सूर्य को दिया था, अर्जुन ने कहा आप से तो सूर्य तो बहुत पहले आ गए थे,तब कृष्ण भगवान् ने कहा "है पार्थ में और तुम हर जन्म में थे,मुझे सब कुछ याद है,पर तुम्हे नहीं", यह श्री कृष्ण का उपदेश पुर्ब्जन्म को प्रमणित करता है, और कृष्ण भगवान् ने यह भी कहा कि, "आत्मा अजर अमर है, शरीर का नाश होता है,और जिस प्रकार से मन्युष नए वस्त्र धारण करता है,इसी प्रकार आत्मा नया शरीर धारण करती है",यह दोनों बातें भी विवादित है, संभवत: इसी लिए इन ग्रंथो को मिथ और इन चरित्रों को मिथ्या कहा जाता हो,लकिन रामायण के राम के चरित्र और गीता के ज्ञान का प्रचार क्यों नहीं होता?
यह तो सही है,रामायण और महाभारत पर सीरियल तो बने,पर यह सीमित तो हमारे देश तक ही थे,परन्तु इन ग्रंथो के आदर्शों पर कोई की फ़िल्म नहीं, बनी,इन ग्रंथों के आदर्शों पर चलचित्र बनना चाहिए,और इनका प्रचार भी स्लम डोग मिल्लोनोर की तरह होना चाहिए |
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