बहुधा सोचता हूँ, यह मुँह से निकले हुए शब्द कभी तीर होते हैं,कभी मलहम, अगर मुँह से कटु शब्द निकलते हैं तो यह हिर्दय में तीर की तरह अघात करते हैं,और कभी यही शब्द मलहम का काम करते हैं, इसी लिए कहा गया है, ईश्वर ने दो ऑंखें और एक जवान दि है,जो भी मुँह से शब्द निकाले तो इन दोनों आँखों से देखभाल के यह शब्द जब मुँह से निकल जाते हैं,तो उनको उसी प्रकार वापिस नहीं लिया जा सकता है,जैसे तरकश से निकला हुआ तीर, यही शब्द अगर कटु होते हैं,तो जोड़ने के पश्चात ऐसे ही जुडते है,जैसे धागा टूटने के बाद उन टूटे हुए धागों से जोड़ने पर गांठ पड़ जाती है, और अगर यही शब्द अगर शीतलता लिए होते हैं तो,ऐसा लगता है जैसे सूखे हुए मरुस्थल में वर्षा कि फुआरे पड़ रही हूँ, अगर गांठ पड़ गयी और अनेकों बार शमा या सॉरी कहने पर यह टूटे हुए धागे पूर्वत: तो जुड़ नहीं पाते परन्तु गांठ पड़ना तो स्वाभाविक ही है |
इसीलिए किसी ने कहा है, ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोये |
औरों को भी शीतल करे और खुद भी शीतल होए ||
लिखे हुए शब्दों का इतना प्रभाव नहीं पड़ता, जितना कि बोले हुए शब्दों का, और अगर वचन कटु सत्य है,तो उनको भी इस प्रकार बोलना चाहिए जिससे सुनने वाले का मन शीतल हो, और उस समय कटु सत्य वचन का सुनने वाले पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा,और सुनने वाला मनन की दिशा में जायेगा, और अगर अच्छे वचनों को कटु या व्यंग्य के रूप में कहा जायेगा,तो सुनने वाला ध्यान ही नहीं देगा,हाँ अगर व्यंग्य लिखित है,तो पड़ने वाला मनन करेगा |
अब सवाल यह उठता है,सुनने वाला किस प्रकार से किसी कि कही हुई बात को लेता है, उसी प्रकार से सुनने वाला पर्तिक्रिया करेगा,इसलिए स्नेह से स्पष्टीकरण देते हुए बात करेंगे तो वोह सुनने वाले के लिए मलहम होंगे,और अगर शब्द में स्नेह नहीं है,तो वोह तीर की तरह चुभेंगे|
बस इस लेख में इतना ही
ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोये |
औरोन को भी शीतलता दे और खुद भी शीतल होए ||
5 टिप्पणियां:
बिल्कुल सहमत हूं आपसे !!
मीठे बोलों के साथ भावना भी सही होना ज़रूरी है वरना मुह मे राम बगल मे छुरी हो जायेगा
Bilkul sahi kaha aapne....kahte hain na vani saat dwaron se naklkar bahar aati hai aur wah aisi na honi chahiye jo kisi ke hriday par aaghat kare....
sehmat hai hundred percent.
ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोये |
औरहूँ को शीतल करै, आपहुँ शीतल होए ||
बिल्कुल सही कहा आपने....ये हमारे ऊपर है कि हम इस वाणी का सदुपयोग करते हैं कि दुरूपयोग ।
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