मंगलवार, अक्तूबर 27, 2009

मनोचिक्त्सक और मानसिक चिकत्सक में अंतर |

मनोविज्ञान को ही आगे बढाते हुए, अगला लेख लिख रहा हूँ, मनुष्य का मस्तिष्क तीन भागो में बिभक्त होता है, चेतन,अर्ध चेतन और सुप्त, कोई भी घटना होती है, इसका प्रभाव सबसे पहले मस्तिष्क के चेतन भाग पर होती है,और यह प्रभाव भी दो भागो में विभक्त होता है, किसी भी घटना का प्रभाव मस्तिष्क  कितनी तीव्रता से लेता है, इस सृष्टि में मनुष्य का व्यक्तित्व अलग,अलग प्रकार को होता है, कोई संवेदन शील है,कोई अति सवेंदन शील है,और किसी में संवेदना का बहुत अभाव है, जितना अधिक मस्तिष्क संवेदन शील है, उतनी ही अधिकता से मस्तिष्क पर प्रभाव होता है, दूसरा किस प्रकार की घटना है, ख़ुशी कि या दुःख कि, फिर उस घटना द्वारा अस्थाई हानि या लाभ है,या स्थाई, और यही घटना समय के अन्तराल के साथ अर्ध चेतन भाग में चली जाती है, और अनुकूल या पर्तिकूल स्थिति,वातावरण में शरीर को मस्तिष्क का  यही भाग पर्तिक्रिया करने को कहता है, यह तो रहा  घटना का मस्तिष्क पर प्रभाव, परन्तु मुँह से निकले हुए कटु शब्द तो बहुत ही तीव्र गति से मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव डालते हैं,और अच्छे निकले हुए शब्द भी उतनी ही तीव्र गति से मस्तिष्क परअच्छा  प्रभाव डालते है, मस्तिष्क को घटना तो इस प्रकार प्रभाव डालती है, कि मस्तिष्क के न्यूरोन में हलचल होती है,और फिर मस्तिष्क सोचने लगता है, पर मुँह से निकले हुए शब्द तो न्यूरोन को उसी क्षण प्रभावित करते हैं,और शरीर उसी क्षण पर्तिक्रिया करता है,इसलिए तो मस्तिष्क तुंरत  बोले हुए शब्दों के अनुसार शरीर को पर्तीक्रिया करने को कहता है, और यह शब्द कभी तीर और कभी मल्हम्म का काम करते है |
  मनोचिक्त्सक का यही काम है,कि मानव की परतेक क्रिया का अति सूक्ष्मता से अध्यन करना और शब्दों के द्वारा उसको परामर्श देना,परन्तु हमारे देश में मनोचिक्त्सक का बहुत अभाव है, इस काम में में मनोचिक्त्सक को सहानभूति  से नहीं बल्कि इस प्रकार से मनोरोगी से बात करनी होती है,जैसे यह घटना मनोचिक्त्सक के साथ हो रही है, और दूसरे होते हैं मानसिक चिकत्सक,वोह मनुष्य के शरीर में होने वाली  क्रिया का अधयन्न करते हैं, पहले तो यह अपने औजारों से देखते हैं,मनुष्य के अंग उनके औजारों के परति कितने संवेदनशील है,आँख कि पुतली पर बहुत ही बारीक टॉर्च की रौशनी डाल कर देखते है,आँख की पुतली कितनी सिकुड़ती है, मतलब कि शरीर में क्रिया की परति क्रिया का अधयन्न करते हैं, फिर E.E.G मशीन से दिमाग से निकलने वाली तरंगो का अध्यन करते हैं,और देखते हैं वोह तरंगे कितनी विचलित हैं,और शरीर में होने वाली क्रिया और पर्तिक्रिया के साथ दिमाग से निकलने वाली तरंगो का अध्यन करके दवाई देते हैं |
  दिल्ली में एक संस्था थी संजीवनी ,जिसमे यह दोनों प्रकार के चिकत्सक मनोचिक्त्सक और मानसिक चिकत्सक थे, और यह संस्था मानसिक रोगियों की निशुल्क चिकत्सा करती थी, इस संस्था को इसलिए कह रहा हूँ थी,इस संस्था को गूगल पर खोजा पर नहीं मिली |
 
  अगले लेख में इस संजीवनी संस्था के बारे में लिखूंगा |
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1 टिप्पणी:

L.Goswami ने कहा…

अच्छा लगा जानकर संस्था के बारे में