रविवार, अक्तूबर 04, 2009

सिगरेट,गुटखा छोड़ना चाहते हैं ?

अपनी पचासवीं पोस्ट लिख रहा हूँ, यह तो कानून बनते हैं,सार्वजानिक स्थानों, बस में रेलगाड़ी में,होटलों इत्यादि में सिगरेट,बीड़ी पीने पर जुरमाना होगा, सिगरेटों के पाकेटों पर हिंदी,अंग्रेजी दोनों में लिखा आता था, सिगरेट स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, और अब तो इन पाकेटों पर चित्र के रूप में चेतावनी आने लगी है, परन्तु सिगरेट,गुटका आदि छोड़ने की किसी भी विधि का प्रचार नहीं होता हैं, पहला तरीका तो है,इच्छा शक्ति,परन्तु सिगरेट और गुटके के सेवन करने वाले में,अधिकतर इतनी इच्छा शक्ति नहीं होती की वोह सिगरेट छोड़ सके, पहला तरीका है, stop smoking ucsf .edu site के निर्देशों का पालन करके, जो की nicotine gum, nicotine patch  आदि का प्रयोग करके, परन्तु हमारे देश में तो निकोटीन गम ही उपलब्ध है,जिसका नाम है निकोतेक्स परन्तु यह बहुत महेंगा पड़ेगा, ५० रूपये का एक पैकेट आयगा,और उसके अन्दर ही आपको इसके सेवन के निर्देश मिल जायेंगे, जब,जब आपको सिगरेट पीने की इच्छा करे तो यह एक चुंगुम दातों और गालो के बीच में रख,लें और थोड़ा,थोड़ा चबाये,और फिर उसी प्रकार दांतों और गालों के बीच में,रख लें, और धीरे,धीरे चुइंगगम की मात्रा कम करतें जाएँ, इस प्रकार धीरे,धीरे आपका सिगरेट,और गुटके का सेवन बंद हो जायगा, बाकि और निर्देश इस nicotex में रखे कागज में मिल जायेंगे, यह साईट आप गूगल में,सर्च कर सकतें हैं|
  दूसरा सस्ता तरीका बताता हूँ,किसी आयुर्वेदिक दवाई बेचने वाले से मुलेठी की पॉँच,दस रूपये की खरीद लायें,और जब भी सिगरेट,या गुटके की इच्छा करे,तो इसको चबाये,बहुत ही सस्ता और कारगर तरीका है|
 में २५-३० साल से सिगरेट पीता था, मुझे पता हैं, ऊपर लिखे हुए बंधन तब तक कारगर नहीं होते जब तक आप में द्रीर इच्छाशक्ति ना हो, और मेरे विचार से सरकार द्वारा लगाये हुए बन्धनों के  साथ इसके उपाए भी बताने,चाहिए,यही नहीं और भी व्यसनों को छोड़ने के उपाए बताये,जाने चाहिए,शराब छुड़वाने के भी कारगर उपाए है,परन्तु इस विषय में सरकार जाग्रति ही नहीं देती, इसके लिए भी Annomynus नाम से संस्था है, और उस संस्था द्वारा हमारे एक जानकार शराब छोड़ चुके हैं, वोह रहते तो पूना में हैं,परन्तु उनोहने दिल्ली में ही इस Annomynus संस्था में भाग लेकर शराब बिलकुल छोड़ दी है,कभी वोह इधर मेरे पास आयेंगे तो उनसे पूछ कर इस संस्था,और उसकी कार्यविधि के बारे में लिखूंगा |
  सिनेमाँ में काम करने वाले संजय दत्त  Drugs के आदि थे, उनके पिता सुनील दत्त ने उनका उपचार कराया और वोह,Drugs छोड़ चुकें हैं, सरकार को चाहिए रोक तो लगाये परन्तु उपचार को भी तो,पोलियो,तपेदिक,ऐड्स इत्यादि की तरह सार्वजानिक करें |
 

1 टिप्पणी:

विवेक रस्तोगी ने कहा…

विनयजी बिल्कुल सही कहा अगर इच्छाशक्ति की कमी है तो कितने भी उपाय कर लो कुछ नहीं हो सकता।

मैं भी मद्यपान और धूम्रपान का आदि था, उसको छोड़ने के लिये गुटखा, इलायची, पान, टाफ़ी और भी जाने क्या क्या अपनाया पर छूटने की जगह ये सब साथ में और लग गयीं। हमारे मित्रों ने, हमारे अभिभावकों ने सबने कहा कि कम करो फ़िर छोड़ दो। परंतु कम मात्रा में करना या ज्यादा में अपनी बुरी इच्छा तो पूरी हो ही रही थी फ़िर हमने अपनी इच्छाशक्ति से एक दिन में ही दोनों छो़ड़ दी।

हाँ एक बात किसी ने भी हमें दबाब नहीं दिया था कि ये छोड़ दो परंतु हमें इनकी तलब क्यों लगती है हम यह सोचते थे तो हमें कारण नहीं मिला। बस हमने निश्चय कर लिया कि जिस चीज को करने का कोई कारण ही नहीं है उसे क्या करना और दृढ़ निश्चय कर हमेशा के लिये छोड़ दी, और अब हम उसे अपने दिल दिमाग में आने ही नहीं देते हैं। और खुशहाल जिंदगी बिता रहे हैं।