बहुधा में सोचता हूँ,अगर कोई भी स्त्री,पुरष,युवक अगर प्रसिद्ध नहीं हैं, तो उसको सम्मान की दृष्टि से तभी देखा जाता है, जब तक वोह सुख सुविधा से संपन्न ना हो और जितना अधिक सुविधा संपन्न उतना ही अधिक सम्मान, अगर किसी ने कीमती वस्त्र पहने हुए हो तो वोह सम्मान का अधिकारी है,अगर उसके पासअपनी साथ साधारण कार है तो ओर सम्मान,अगर कीमती कार तो ओर सम्मान,अगर विदेशी कार हो तो ओर सम्मान, की दृष्टि में उसका सम्मान बड़ जाता है,और अगर अपना घर है तो उसको और सम्मानित दृष्टि से देखा जाता है |
जितनी अधिक धन को पर्दर्शित करना उतना ही सम्मान, लक्ष्मी के बारे में कहा जाता है,यह सदा स्थिर नहीं रहती है, हर समय यह चलायमान रहती है,कभी यहाँ तो कभी वहाँ, अगर किसी के पास किसी भी कारणवश सुख,सुविधा के साधन नष्ट होते जातें हैं, और जितने नष्ट होते जाते हैं तो,उसी अनुपात में उसका लोगों की दृष्टि में सम्मान गिरता जाता है, क्या सुख सुविधा ही सम्मान सूचक है ? क्या निर्धन होने पर सम्मानित व्यक्ति हेय हो जाता है,अभी तक तो वोह सम्मानित था कि उसके पास धन दोलत थी,और धन दोलत के नष्ट होते हि उसका सम्मान गिर गया,यह तो व्यक्ति का सम्मान ना होकर के लक्ष्मी का सम्मान हो गया |
अगर कोई बॉय फ्रेंड अपनी गर्ल फ्रेंड को कीमती उपहार देता है, तो गर्ल फ्रेंड की दृष्टि में उसका सम्मान बड जाता है, इस सन्दर्भ में समाचार पत्रों में अधिंकाश समय यह आता है, अच्छे घरो के लड़को ने महिलाओं अथवा लड़कियों के गले से चेन खींच ली, अगर कारण जानने का प्रयत्न करो तो यह सामने आता है कि, यह लड़के सुख संपन्न घर से हैं और, अपनी गर्ल फ्रेंड को कीमती उपहार देकर सम्मानित होना चाहते हैं, कहाँ गया वोह महात्मा गाँधी जी का वचन "सादा जीवन उच्च विचार" |
मान लीजिये अगर कोई परसिद्ध बुद्धि जीवी जैसे कि लेखक, वैज्ञानिक और कोई भी पर्तिभाशाली व्यक्ति जो आम जनता की दृष्टि में नहीं है,वोह अगर बिना शान शौकत के जन संपर्क में आता है, तो क्या उसका सम्मान नहीं है, क्योंकि वोह अपनी सम्पन्नता को पर्दर्शित नहीं कर रहा है (ऐसा कम ही होता है,इन लोगों का चित्र समाचार पत्रों में इनके वर्णन का साथ निकल ही जाता है )
किसी भी समारोह में, उपहार देने में भी अपने को परितिष्ठ दिखाने के लिए कीमती उपहार देने का प्रचलन है,तो यह गरीब लोग जो कीमती उपहार नहीं दे सकते उनका सम्मान नहीं हैं, यह भी सच है अगर आपके सुख,समृधि है तो अनेकों रिश्तेदार बन जाते हैं, और अगर सुख समृधि छुट जाती है,तो यही रिश्तेदार आपको छोड़ कर चले जाते हैं, तो क्या सम्मान उनका है,जिनके पास सम्पन्नता है,या लक्ष्मी का सम्मान है ? इसी सन्दर्भ में जो बात मेरे मस्तिष्क में आ रही है, जो इस लेख से थोड़ा हट कर है,सच्चा मित्र वोही है,जो आपका संकट के समय साथ दे, अगर कोई भी धनी,सुख सम्पन्नता से शने:शने: दूर होकर निर्धन हो जाता है, और अगर कोई उसका साथ उस संकट में दे तो वही आपका सच्चा मित्र है |
यह धन सम्पदा और एकत्रित हो,और एकत्रित हो यह तो मिरगतृष्णा है, जिसका अंत कभी नहींहोता , सिकंदर ने सब कुछ जीत लिया,और उसके बाद उसने यही कहा था, मेरे ताबूत में से मेरे खुले हाथ बहार रखना, जिससे लोगों को यह संकेत मिले में खाली हाथ आया था और खाली हाथ जा रहा हूँ |
बस इतना ही बहुत है,जिससे परिवार को रोटी मिल जाए किसी के आगे हाथ ना फेलाना पड़े,और जो अथिति घर में आये वोह भी भूखा ना जाये |
बस इस लेख का अंत साईं नाथ से की जाने वाली प्रार्थना से कर रहा हूँ |
साईं इतना दीजिये जिसमे कुटुंब समाय |
में भी भूखा ना रहूँ और भी भूखा ना जाये ||
5 टिप्पणियां:
ये भौतिकवादी सोच तो गलत है..इसे बदलने की जरूरत है...किसी का सम्मान उसके संपन्नता को आधार बनाकर किया जाए तो ये उसकी या किसी और की विद्वता का अपमान है
जो विद्वान होता है अपने व्यवहार से नज़र आता है न कि कपडॉ से
आज यही हो रहा है धन के कारण सम्मान दिया जाता है..लेकिन आज भी कुछ लोग ऐसे हैं जो धन की अपेक्षा इन्सान के गुणो को महत्व देते हैं लेकिन बहुत कम लोग हैं ऐसे।
गलत है ये .. पर सच है आज के युग में !!
आपने बिल्कुल सही कहा आजकल लोगों की पहचान केवल कपडे ,पैसे को देख के ही की जाने लगी हैl मैंने खुद इस चीज़ को कई बार देखा है पर फिर भी शुक्र है कि आपके और हमारे जैसे लोग अभी है जो इस बात पर ध्यान न देकर इंसानियत को अधिक महत्त्व देते हैl
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