दूसरा कारण वायरस का इतना तो विस्तृत नहीं है, और भाई हमने तो एंटी वायरस अपने कोम्प्यूटर में डाल रखा है,जब वायरस का आकर्मण अमीरका के गुप्त संचार ठिकानों पर हो सकता है,तो हम नाचीज की क्या औकात ? एंटीवायरस बनाने वालों का अथक परिश्रम वायरस नाम के रोग को दूर करने का प्रयत्न और वायरस बनाने वालों की नए,नए वायरस के अस्त्र शस्त्र बनाने का प्रत्यंन ,पता नहीं कब हमला हो जाये,और आपका ऑपरेटिंग सिस्टम जो भी हो,वोह धुल,धूसरित हो जाये,वैसे तो हमारे यहाँ,विंडो ही सबसे अधिक प्रचलित है, पता नहीं कब यह वायरस विंडो को मृत्यु प्राप्त करा दे, और नई विंडो का जन्म हो |
तीसरा कारण तो बहुत संक्षिप्त है,वोह है,विजली रानी की बिना सूचना के आवाजाही,जिसने मेरे बहुत से विदेशी मित्रों को संशय के घेरे में डाल दिया है, बहुधा नेट पर बात करते,करते अचानक बिजली रानी चली जाती है,जैसे विदेशों में,बाय,सी यू इत्यादि कहने के बाद सम्बन्ध विच्छेद किया जाता है,नहीं तो असभ्यता समझी जाती है,लेकिन यह बिजली रानी तो अचानक बिना सोचे ही सम्बन्ध विच्छेद करा कर नाक कटवा देती हैं, अगर वोह लोग भारत भ्रमण के लिए,कभी आयें हों,तो विवशता समझ जातें हैं,नहीं तो अत्यधिक कठिनाई होती है |
नेट पर कुछ समय बाद मेरा दृष्टिगोचर ना होना की सम्भावना ना होने का तो प्रमुख कारण तो पहला ही है,और दूसरा कारण तो कुछ समय के अन्तराल पर मेरा आना संभावित है,तीसरा कारण तो ऐसा ही,भाई आना जाना तो लगा ही रहता है |
नेट पर कुछ समय बाद मेरा दृष्टिगोचर ना होना की सम्भावना ना होने का तो प्रमुख कारण तो पहला ही है,और दूसरा कारण तो कुछ समय के अन्तराल पर मेरा आना संभावित है,तीसरा कारण तो ऐसा ही,भाई आना जाना तो लगा ही रहता है |
2 टिप्पणियां:
कोई बात नहीं .. आना जाना तो लगा ही रहता है !!
nice sangita ji but
ham logi ke bhi blogs kabhi time milne se dekha liya kijiye
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