कल आज का बहुत लोकप्रिय सीरियल बालिका बधु देख रहा था, है तो सीरियल ही मैं दिखाए गए कठोर चरित्रों का अत्याचार मैं देख नही पाता मन भावुक हो जाता है, सीरियल मैं दिखाए गये सुरेखा सीकरी (दादी सा), का अविका गोड़
(आनंदी) को अपने घर की मर्यादा तोड़ने के कारण पर उसको घर से निकाल देना कुछ अच्छा नही लगा, उस बेचारी आनंदी के माँ बापू की जमीन उस जमींदार ने हड़प ली तो बेचारी आनंदी अपने पति के साथ जमीन छुडाने के लिए गई थी,दोष तो बेचारी आनंदी का तो था नही, उसका पति जगदीश उसको लेकर गया था, और सजा भुगतनी पड़ी बेचारी आनंदी को, उसका बिलख,बिलख कर रोना अच्छा नहीं लगा।
वोह जमाना याद आ गया जब नई नवेली बहु,अपनी आँखों मैं नई दुनिया के सपने पिरोये हुए अपने दुल्हे के साथ नई दुनिया मैं कदम रखती थी, और आते ही उसको बहुधा सास के ताने सुनने को मिलते थे, समझ आता था नारी,नारी के प्रति कठोर क्यों होती थी, अगर सास ताने नही देती थी,तो उस नई नवेली गहेनो से सजी हुई दुल्हन को वहाँ पर एकत्रित रिश्तेदार ताने दे दे कर उसके सपने धूल धूसरित कर देते थे।
समझ नहीं आता क्यों लोग भ्रूण हत्या कर के प्रकर्ति के नियमो से क्यों खिलवाड़ कर रहे है, इस्त्री,पुरूष का अनुपात क्यों बिगाड़ रहे है, अगर यह क्रम चलता रहा तो सृष्टि आगे कैसे चलेगी,यह तो सच है सरकार ने लिंग परिक्षण को अवैध घोषित कर दिया है, परन्तु अभी भी यह कारोबार छुप, छुप के तो हो रहा है, लोग क्यों भूल जाते हैं,आज हिंदुस्तान के सर्वोच्च शिखर पर एक नारी ही बैठी है, हमारी पूर्ब प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी को कौन भूल सकता है, जिनके समय विश्व मैं उनकी साख थी, और परम्परा को तोड़ते हुए लोकसभा की स्पीकर भी एक महिला है मीरा कुमार फिर नारी के साथ अनानाये क्यों,और तो और बहुत बार आज के युग मैं नारी कमा के अपने पति का भरण पोषण कर रही है, मैं जानता है एक ऐसे पति को अच्छा पड़ा लिखा है, परन्तु उसके भोले स्वाभाव के कारण वोह नौकरी मैं अधिक समय तक नही रह पाया,वोह एक टेक्नीकल डिग्रीधारक हैं,और अच्छी,अच्छी पोस्ट पर रहा है, कुछ तो उसके काम की बाजार मैं मांग नहीं रही इस कारण से वोह १४ वर्ष से खाली बैठा है, और उसकी पत्नी ने उसका स्थान ले लिया है,बिना शिकन के उस व्यक्ति का पालन पोषण कर रही है, फिर अभी भी इस्त्री को पुरूष से काम क्यों अंका जाता है?
पुरूष तो बहुत है जो की आर्थिक उन्निती के साथ परसिद्ध हो गये हैं,परन्तु अभी नारी की अनुपात उनसे प्रसिद्दि और आर्थिक अवस्था का अनुपात काम हैं, और वोह भी नारी के लिए कड़े संघर्ष के बाद,वोह भी बेटी,बेहेन,माँ,पत्नी होने के साथ।
बस वोह कविता की चंद पंक्तिया याद आती है
अबला तेरी येही कहानी है
आंचल मैं दूध आँखों मैं पानी है
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nice
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