कल स्वंत्रता दिवस है, और इस समय पूरानी दिल्ली की ऐतिहासक इमारत लाल किले के साथ, अनेको
सार्वजानिक इमारतो स्कूल कालेज मैं, हमारे राष्ट्रिये धवज का ध्वजारोहण होगा, और इसको सलामी दी जायेगी, यह १५ अगस्त के राष्ट्रीय दिवस पर उन शहीदो को याद किया जाएगा,जिन्होंने इस देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी दी थी, जिसके कारण हम आजादी के वातावरण मैं साँस ले रहे हैं, इस तिरंगे झंडे मैं, तीन रंग हैं, जो कि परतीक हैं, अलग,अलग भावो का, सबसे ऊपर है,वोह केसरिया रंग जो कि परतीक है,वीरता का और हमें याद दिलाता है, कि लोग हंसते,हंसते देश की स्वाधीनता के लिए अपनी जान की बाजी लगा गये, उस समय का वातावरण ही ऐसा था,बच्चे बच्चे मैं आजादी पाने का जोश था, शहीद भगतसिंह नेबचपन मैं अपने पिता जी से पुछा,हम अपने खेतो मैं गोलियां बो दे,तो गोलियां ही पैदा होंगी, हमारी पूर्ब प्रधानमंत्री इन्द्रा गाँधी ने बानर सेना का निर्माण किया था, ताकि अंग्रेजो की ख़बर तात्कालिक नेताओं को पहुंचाई जाए,और अंग्रेजो को इसकी ख़बर ना हों,ऐसा था बच्चे,बच्चे मैं स्वंत्रता मैं साँस लेने का जोश,सबसे पहले मुठी भर साधुओ ने अंग्रेजो को खदेरने के लिए संतान सेना बनाई, यह पता था कि अंग्रेजो कि विशाल सेना को वोह नही हरा सकते लेकिन उन्होंने उस समय की आम जनता के हिर्दय मैं विद्रोह का बीज तो बो दिया और अंत मैं उस संतान सेना मैं कोई भी साधू नहीं बचा,यह था स्वंत्रता संग्राम का आगाज, तत्पश्चात बहुत से स्वंत्रता संग्राम के सेनानी हुए, यह वीरता दर्शाता है इस झंडे का केसरिया रंग।
जाते जाते अंग्रेज देश का बिभाजन कर गए,और हिंदुस्तान,पाकिस्तान बना गये, इस कारण हिंदुस्तान पाकिस्तान ने पहली लड़ाई १९६५ मैं लड़ी, और हिन्दुस्तानी सेना के बहुत से रणबांकुरों ने अपनी जान की बाजी लगा दी, इसी प्रकार १९७१ की हिंदुस्तान,पाकिस्तान की लड़ाई मैं फिर देश की रक्षा के लिए हंसते,हँसते अपने प्राण गँवा दिए, इससे पहले चीन और हिंदुस्तान मैं भी येही अंजाम हुआ उन रणबांकुरो का, उनका साहस तो देखिये बिना आधुनिक हथियारों के उस चीन की उस समय के आधुनिक हथियारों और विशाल सेना के साथ जा भिड़े, अभी १० वर्ष ही हुए है, कारगिल की लड़ाई मैं उस टाइगर हिल की उस खड़ी चढाई पर अपने साजो सामान के साथ जा कर के त्रिनगा फेरा आये,यह इस झंडे का केसरिया रंग पारतिक है,उस वीरता का, अब तो आम इन्सान के लिए वीरता और सहास दिखाने के अवसर तो कम है, बस नमन है इस तिरेंगे के केसरिया रंग को।
दूसरा रंग जो की केसरिया के नीचे है,वोह सफेद जो कि अमन और शान्ति का पारतिक , समाचार पत्र भरे रहते है, भिन,भिन अपराधो से,अराजकता पहेली पड़ी है जो कि अपराधो को और शेह देती है, सफेद रंग और सफेद कबूतर शान्ति का प्रतिक है, सडको पर रोड रेज तो आम हो गया है, आगे निकलने का स्थान ना हो,परन्तु पीछे से आगे निकलने की होड़ मैं गाडियों के हार्न के कर्णभेदी स्वर सुनाई देते है, और रात्रि मैं तो आगे निकलने की होड़ मैं,आपकी गाड़ी के पीछे देखने वाले शीशे मैं,पीछे आने वाली गाड़ी के डिपिर की रौशनी की चओन्ध पड़ती है, और आप पीछे आने वाली गाड़ी को साइड नहीं दे पाते क्योकि आप साइड ना देने के लिए विवश हैं, क्या राष्ट्रीय ध्वज के सफेद रंग का मान रखा जा रहा है, अपने को शांत और सयामिंत रखने का प्रयास तो है ही नही,फिर मेरा वोही प्रश्न की हम लोग क्या राष्ट्रीय ध्वज का मान रख रहे हैं?
सबसे नीचे है,हरा रंग जो कि हरित क्रांति का पार्तिक,पर फिर वोही सवाल क्या हम इस राष्ट्रीय ध्वज का मान रख पा रहे हैं, बनो की तेजी से होती हुई कटाई, कुछ तो आज की आवश्यकतायें है,परन्तु अपनी शानो शौकत के लिए शेत्रफल के हिसाब से बड़े बड़े घर की क्या आवश्यकता है, जिसके कारण पेडो को काटा जाए,जिससे वन्य जीवो का आश्रय समाप्त हो जाए,और इसका परिणाम यह वन्य जंतु आबादियों की ओर आते है, इंसानों पर हमला कर देते है, और दूसरा परिणाम पर्यावरण का दूषित होना, और इसीका असर है पराकरतिक संतुलन बिगड़ना,और परिणाम
सामने है,वर्षा का ना होना,पराकरतिक संतुलन जो बिगड़ रहा है।
यह इस तिरंगे के तीन अलग,अलग रंगों का आशय, स्वंत्रता दिवस के समय पर शहीदो को याद तो करिए पर इस त्रिन्गे के तीन रंगों का मान रखिये,जिसको इस दिन सलामी दी जाती है, इसी के साथ स्वंत्रता दिवस की शुभ्कमानेय।
वन्दे मातरम
3 टिप्पणियां:
अच्छी रचना
कृष्ण जन्माष्टमी की व .स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
कृष्ण जन्माष्टमी स्वतंत्रता दिवस के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामना और ढेरो बधाई .
सुंदर जानकारी देती रचना के लिए धन्यवाद .. आपको जन्माष्टमी और स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाई !!
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