बुधवार, अगस्त 26, 2009

मुझे आशा नही थी(मेरी पोस्ट समाचार पत्र मैं छपेगी)

मै तो यदा कदा लिखता रहता हूँ, और अपनी आदत के अनुसार पहले की लिखी हुई, पोस्ट को देखता रहता हूँ,मुझे आशा ही नही थी कि मेरी, कोई पोस्ट समचार पत्र मैं छपेगी, सबसे पहले ध्यन्यवाद समाचार पत्र हरिभूमि को,जिसने मेरी पोस्ट आइये गणपति जी से प्रार्थना करें, और दूसरा धन्यवाद अविनाश जी को जिन्होने मेरे को इससे अवगत कराया, इस गणपति पर शायद गणेश चतुर्थी वाले दिन को मैंने पाठको को एक संदेश दिया था, कि आज कि ज्वलंत स्यम्स्याओ के विघ्न विनाश की विघ्नविनाशक गणेश जी से प्रार्थना करें, आशा इसलिए नही थी, कोई मेरी किसी पोस्ट पर कोई यदा ही कोई टिप्पणी ही देता है, यह तो ज्ञात हो जाता है कि कितने पाठको ने मेरी पोस्ट पड़ी उस के लिए धन्यवाद आशीष जी को।
ना तो मैं सामायिक विषयों पर लिखता हूँ, और नाही मेरे विषय किसी विद्या और ज्ञान वर्धक लेख होते हैं,जैसे की संचिका जी की तरह भुजंग पर और नाही संगीता जी की तरह गत्यात्मक की तरह पर जब मैं ब्लोगवाणी या ऐसे ही किसी साईट पर जाता हूँ, तो अधिकतर लोगो के विचार आज के सामायिक विषयों पर ही मुझे प्रतीत होते है, इतना तो मेरे पास समय नहीं है, कि बहुत अधिक ब्लॉग या पोस्ट देख सकूं, बस जो भी क्रम संख्या १ मैं होते है उनको पड़ लेता हूँ, अब मुझे पावला जी को धन्यवाद देता हूँ, क्योंकि उन्होने मेरे स्नेह परिवार मैं मेरी पोस्ट "कोई मेरी सहायता कर सकता है", अपना मूल्यवान समय दिया और यह हुआ ईमेल से, वोह मेरी ईमेल की प्रतीक्षा लगातार करते रहे,और यह क्रम कोई आधे पोने घंटे या इससे भी अधिक चला,पावला जी आपको धेर्य को शत: शत नमन।
मै तो अपने को लेखनी का धनी नही समझता, ना ही यह मेरा शेत्र है, बस मैं तो एक साधारण सा इंजिनियर हूँ,बस अताम्तुष्टि के लिए लिखने का शौक पाल रखा है, जब मैंने इस ब्लॉग की दुनिया मै पदार्पण किया था,तो पहला ब्लॉग बनाया था, vinay-loniness.blogspot.कॉम परन्तु यह ब्लॉग ब्लॉगर जब अपने मैं कुछ सुधार कर रहा था,तो यह ऐसे गुम हो गया और मिला ही नही कोई दो वर्ष पुरानी बात होगी,बाद मैं twitter.chittajagat.in से मेल आया आप इसको यहाँ जोड़ सकते है,यह भी मुझे ज्ञात नहीं,यह ट्विट्टर पर कैसे पहुंचा।
इंजीनियरिंग करने से पहले मैंने काव्य रचना का प्रारम्भ किया था, मुझे ज्ञात ही नहीं था, कविता को सुनने के लिए भी विशेष वर्ग की अवयाश्कता होती है,उस समय मैं कही भी अपनी लिखी हुई कविता सुनाने लगता,बाद मैं भी मेरे साथ ऐसा ही हुआ,जब कुछ विशेष वर्ग को कविता सुनाई तो उन लोगो ने मुझे प्रोत्साहित किया, अब तो कविता का सृजन हो नहीं पाता।
पुन: धन्यवाद अविनाश जी का जिन्होने मेरी इस पोस्ट के छपने के लिए बधाई का मेल भेजा, मैं तो कुछ तो अपने काम,कुछ दूसरे लोग जिनकी होंठो पर मुस्कान लाने के अतिरिक्त कुछ लेखन कर लेता हूँ, अभी स्नेह परिवार मैं एक और पोस्ट लिखना चाह रहा हूँ,प्रेरणा संस्था के बारे मैं जो की निर्धन वर्ग की कन्या का विवाह कराती है, इस संस्था के संस्थापक मेरे मित्र हैं, जो की प्रचार का व्यापर करते है, वहाँ के कर्मचारी उस संस्था के मेम्बर हैं, जो इस नेक काम मैं उन कन्याओ का विवाह तो कराते ही है,और उनको जीवन निरबाह के लिए बर्तन,कपडे आदि देते है, उस अनास्था के संस्थापक का नाम अजय है,अभी उनसे संपर्क नही हो पा रहा,जब समपर्क हो जाएगा तब उनकी आज्ञा लेकर कर स्नेह संस्था की तरह टेलीफोन नम्बर,उसका एड्रेस और उनकी कार्यशेली की जानकारी दूँगा।
पाठक गन से शमाप्रर्थी हूँ,कहीं,कही मूल विषय से भटक गया हूँ, और अंत मैं येही कहता हूँ,सफल व्यक्ति की जयजयकार अवश्य करें, परन्तु जो प्र्यतन कर के भी असफलता पर हैं, उसको प्रोत्साहित करके आगे बड़ने का अवसर दें, जिससे एक स्वस्थ्य समाज का सृजन हो सके।
एक दूसरे पर आक्षेप,पर्तिअक्षेप के स्थान पर दूसरे की कमियों को उसके सहारे की लाठी बन कर दूर करें।
बस कबीर दास जी की इन्ही पंक्तियों के साथ इस पोस्ट का पटाक्षेप करता हूँ।


ऐसी बाणी बोलिए मन का आप खोये।
औरो को भी शीतलता मिले ख़ुद भी शीतल होए॥


मैंने हरिभूमि समाचार पत्र मैं छपने वाली पोस्ट का एड्रेस लेबल मैं दे दिया है
धन्यवाद्

10 टिप्‍पणियां:

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत खुशी हुई जानकर .. बहुत बहुत बधाई आपको !!

बेनामी ने कहा…

विनय जी मुझे मालूम नहीं था कि वह आपका ब्लॉग है जिसे हरिभूमि पर लिया गया है। लिंक लगाने के लिए बहुत तलाशा इसे, अब पता चला है तो लिंक लगा दिया है। वैसे आपकी समस्या, स्नेह परिवार वाली सुलझ गई क्या?

श्यामल सुमन ने कहा…

विनय जी - कहा जाता है कि "अभ्यासे नराः" । लगातार लिखने से लेखन कला स्वतः विकसित होती है और अपना मुकाम ढ़ूँढ़ लेती है। शुभकामनाएं।

Udan Tashtari ने कहा…

बधाई हो आपको!

Vinashaay sharma ने कहा…

धन्यावद सगीता जी

Vinashaay sharma ने कहा…

पाबला जी स्नेह परिवार की समस्या,अभी नही सुलझी,मेरी अविनाश जी से बात हुई थी,उन्होने कहा,परमिशन मे जा कर मेरा मेल दे,दे और जब उनसे पुन: बात हो तो एडमिन मे मेरा नाम दे दे,देखते है,क्या होता है.

Vinashaay sharma ने कहा…

धन्यावाद उड्न तश्तरी जी

Vinashaay sharma ने कहा…

श्यामल जी प्रोत्सहान और बधाई के लिये धन्यावाद

shama ने कहा…

बहुत ,बहुत बधाई हो आपको ! अच्छे लेखन को सराहा गया,ये सबसे बड़ी उपलब्धी है ...हमें आप पे गर्व है !

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Vinashaay sharma ने कहा…

धन्यावाद शमा जी