|मेरी मेरे ब्लॉग की यह शतकीय पोस्ट है |
यह तो मुझे याद नहीं कब मैंने ब्लॉग लिखने प्रारम्भ किये थे, हाँ बस लिखता चला गया, दो निजी ब्लॉग बनाये थे,www.vinay-mereblog.blogspot.com और दूसरा www.snehparivar.com , शेष दो ब्लॉग में से एक ब्लॉग पिता जी अविनाश जी ने मेरे डेशबोर्ड पर पहुँचाया था,और एक और ब्लॉग कबीरा खड़ा बाजार में किसी और ने मेरे डेशबोर्ड पर पहुँचाया था, मैंने तो युहीं अपनी पहली पोस्ट मेरी जीवनी से www.vinay-mereblog.blogspot.कॉम में लिखी थी,मुझे ज्ञात ही नहीं था,मेरी पोस्ट पड़ी जाएँगी और उन पर टिप्पणियाँ भी आयंगी, उससे पहले भी एक ब्लॉग बनाया था,और उस ब्लॉग का पता ही नहीं चला,ब्लॉगर के अपडेट होने के बाद वोह ब्लॉग कहीं खो गया, हो सकता है, ब्लॉगर के मुख्य सर्वर पर भी ना हो |
मेरा ना ब्लोगवाणी से कोई परिचय था,ना चिटठा जगत का, एक बार अविनाश जी से दूरभाष पर बात हो रही थी, मैंने यह उनसे पूछा कि " आप लोग किसी नए लिखने को कैसे जान लेते हैं ?" , तब अविनाश जी ने मेरा परिचय ब्लोगवाणी और चिट्ठाजगत से करवाया था |
यहाँ ब्लॉगर पर आकर के बहुत से लोगों से पहचान हुई, और भिन्न,भिन्न विषयों का ज्ञान मिला, बस एक बात की कसक रह गयी, मेरी रिहायश के आस पास दो स्थान पर ब्लागरों का सम्मलेन हुआ, लेकिन कुछ निजी कारणों से ना वहाँ जा सका, इसलिए आमने,सामने किसी से मुलाकात नहीं हुई, एक बार तो कुछ पेमेंट करनी थी, और दूसरी बार पत्नी को मलेरिया हो गया था, अविनाश जी तो गाजिआबाद के पास दिल्ली में ही रहते हैं, उनका दो बार हमारे घर आने को प्रोग्राम भी बना, एक बार तो वोह हमारे घर आने वाले थे, परन्तु उनका बीच में ही उनका प्रोग्राम बदल कर नोयडा जाने का बन गया, दूसरी बार उनका किसी शादी में फिर गाजियाबाद आने का था,और बहुत देर रात्रि में आने के कारण वोह, दोबारा हमारे घर नहीं आ पाए थे, पाबला जी भी एक ब्लॉगर सम्मलेन में गाजिआबाद आये थे, पाबला जी ने तो मेरी दो ब्लॉगर की दो तकनिकी समस्या का भी समाधान किया था, सब ब्लोग्गरो के जन्मदिन,वैवाहिक वर्षगांठ और ब्लोग्गरो की समाचार पत्रों में, ब्लोग्गोरो द्वारा लिखी हुई पोस्ट को स्मरण करा कर ख़ुशी देने वाली इस शख्सियत से मिलने की बहुत हसरत थी, लेकिन एन मौके पर पत्नी को मलेरिया बुखार हो गया, उनसे तो दूरभाष पर इस सम्बन्ध में बात भी हो चुकी थी, होना तो वोही होता है,जो ऊपर वाले को मंजूर होता है |
ब्लॉग बनाने से यह भी लाभ हुआ, ज्योतिष का ज्ञान मिला जिसमे संगीता जी, पंडित डी.के वत्स जी अग्रणी हैं, अलका जी के द्वारा लिखे हुए लेखो से ज्ञात हुआ कैसे फल,सब्जियों से रोगों की चिकत्सा संभव है, लवली जी के लिखे हुए मनोवेग्यानिक लेख से मनोविज्ञान की जानकारी मिली, आशीष जी के कारण में में हिंदी में टिप्पणी दे पाता हूँ, उनका तकनिकी ज्ञान भी मिलता है| आप सब लोगों को तहदिल से धन्यबाद में तो यह भी नहीं जानता था, इसमें अनुसरण करता बन जाते हैं, उन सब अनुसरण कर्ताओं को धन्यबाद, जब पहला ब्लॉग स्नेह परिवार बनाया था,तब सबसे पहली अनुसरण करता थीं ,शमा जी जो की बहुत सी कला की धनी हैं |
उड़न तश्तरी जी को कौन भूल सकता है, उनकी टिप्पणियाँ तो, लगभग सारे ब्लोगों में मिल जातीं हैं, और अपनी कहानी परिवर्तन के समय में लिखे हुए पहले भाग से मुझे लगा,वोह लेखों को बहुत ध्यान से पड़ते हैं, क्योंकि मेरी कहानी परिवर्तन के पहले भाग में मेरी त्रुटी की ओर ध्यान दिलाया था, और वोह जो त्रुटी थी बहुत ही सूक्ष्म थी, उड़न तश्तरी जी आपको बहुत,बहुत धन्यवाद |
समय,समय पर मनु जी,अविनाश जी,संगीता जी,शमा जी,अनीता जी,पावला जी,अलका जी,पूर्णिमा जी से चैटिंग होती रहती है,और मुझे अपना परिवार सा ही लगता है,ब्लॉग की एक पोस्ट जिसमे गणेश उत्सव के समय मैंने गणपति जी से प्रार्थना करी थी,वोह समाचार पत्र हरिभूमि में छप गया था, जिसकी सूचना मुझे अविनाश जी ने एक टिप्पणी देकर करी थी,में तो आश्चर्य चकित था|
में कोई साहित्यकार तो नहीं,बस एक लिखने का शौक है, साहित्यक त्रुटी तो होतीं हैं ही, एक बार पूर्णिमा जी को होली की शुभकामनाये दे रहा था,और अधिकतर चैत्तिंग में पूर्णिमा लिख रहा था,तब पूर्णिमा जी ने मजाक में कहा जब आप पूर्णिमा लिखेंगे,तब शुभकामनाये लूंगी,लेकिन फिर मैंने पूर्णिमा लिखा तब वोह बोली फिर गलत,उसके बाद मैंने अपनी त्रुटी सूधार के पूर्णिमा लिखा तो वोह बोलीं, "यही हुई ना बात" |
7 टिप्पणियां:
100 vi post ke liye hardik badhayi.
बहुत बहुत बधाई !!
भाई शतकीय पारी पर बधाई और ढेरो शुभकामनाये ....
विनय जी, शतकीय पारी की बहुत बहुत बधाई!!!
और आपके इस स्नेह हेतु आभार!!!
nice
આપકો સાદર મુબારકબાદ દેતી હુંન કી એ સૌવીઈન आपको सादर मुबारकबाद देती हूँ कि ये सौवीं पोस्ट आपने लिखी ,मैं तो ये शतक जाने कब जीतूंगी ,क्या करें ,एक एक लेख पर जाने कितना समय अनुसंधान में चला जाता है ,फिर भाषा को सरल करना है ताकि सभी लोग समझ सकें ,उसी में एक से एक नयी बीमारियों के मरीज पूरे देश से फोन करते हैं उनकी समस्या सुलझाना ,उन्हें निरोग करना ,यही तो मेरी तपस्या है ,पूजा है ,लेकिन मैं भी शतक पीटने की चाहत रखती हूँ .
एक चीज होती है निर्मली .सुपारी की रंगत का ,आकार में खडी सुपारी का चौथाई ,इसे किसी पत्थर पर थोड़ा सा घिस लीजिये [दो बूंद पानी के साथ ]उसी घिसटन को दोनों आँखों में काजल की तरह लगा लीजिये ,दिन में दो बार .हर बार तुरंत घिसकर लगाएं ,तीन महीने में मोतियाबिंद ख़त्म ,आपरेशन की जरुरत नहीं पड़ेगी
धन्यवाद अलका जी,आप तो बहुत ही सराहनिय काम कर रहीं हैं,यह तो शतक बनाने लाख क्या करोड़ शतक से अच्छा काम है,आपकी सेवा को नमन है ।
एक टिप्पणी भेजें