बहुत पहेले दूरदर्शन पर एक च्यवनप्राश एक विज्ञापन आया करता था,जिसमें एक नौजवान दम्पति में से उसकी पत्नी,ऊँचे पेड़ से कुछ तोड़ने को कहती है,परन्तु ऊंचाई के कारण वोह उतार नहीं पाता, फिर एक प्रोड़ दम्पति में से वोह प्रोड़ उसको तोड़ लेता है |
यह तो रहा दोनों प्रकार के दम्पति में शारीरिक शक्ति की तुलना, जो कि दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाला विज्ञापन था, शरीर जब प्रोड़ अवस्था में पहुँचता है,तब मानव के शरीर में अनेक प्रकार के वदलाव होते हैं,जैसे बालों में सफेदी,चेहरे पर धीरे,धीरे झुरियो का आना और उस समय तक अनेकों प्रकार के खट्टे,मीठे अनुभव हो जातें हैं, लेकिन उन प्रोड़ लोगों को कहा जाता है,बुड़ापे में यह बात यावोह बात शोभा नहीं देती, कम से कम उम्र का लिहाज करो, आखिर दिल तो सभी का होता है,और बहुधा कहा जाता है,बुडे हो गए हैं तो दिल तो जवान है, यह कैसा विरोधावास है ?
इस समय मेरे मस्तिष्क में सदी के महानायक अमिताभ वच्चन का विचार आ रहा है, वोह अपनी इस 67 वर्ष की आयु में अब तक काम कर रहें है, और बहुत से एक से एक बड़ कर प्रस्तुति दे रहे हैं, यह बात तो ठीक है सिने कलाकार निर्माता,निर्देशक के अनुसार काम करता है, अब उनके समकक्ष कलाकार अब अभिनय नहीं करते, लेकिन अपनी आयु की और ना देख कर वोह एक से बड़ कर चलचित्र को योगदान दे रहें है, दूसरे निर्माता,अभिनेता मेरे मस्तिष्क में आ रहें है,सदाबहार हीरो देवानंद उन्होंने भी अपनी बड़ती आयु को ना देख कर, बहुत से चलचित्र के निर्माता बने और उसमे अभिनय भी किया, अब मेरे मस्तिष्क में आ रही हैं सिने अदाकारा रेखा, बहुत आयु तक उन्होंने ने अपनी शारीरिक खूबसूरती का ध्यान रक्खा |
यह तो रही सिने कलाकारों की बात परन्तु प्रोड़ शिक्षा की बात होती है, यह नहीं कहा जाता,बुड्ढे तोते क्या खाक पड़ेंगे ", अगर प्रोड़ शिक्षा की और देखा जाये तो इसका अभियान चलता रहता है, प्रोड़ शिक्षा को प्रोत्साहन दिया जाता है,हाँ यह अवश्य है की प्रोड़ और नौजवान लोगों की विचारधारा अलग,अलग होती है,जिसको "जनरेशन गेप कहा जाता है", समझ नहीं आता बड़ती आयु एक संख्या है,या कुछ और |
1 टिप्पणी:
व्यस्तता और सफलता आत्मविश्वास देती है .. स्वास्थ्य सामान्य हो तो उम्र कोई मायने नहीं रखता .. पर खाली दिमाग शैतान का घर होता है .. ऊपर से असफलता तो आत्मविश्वास को चूर कर देती है .. उम्र कम होने पर भी कार्यक्षमता पर प्रभाव पडता है !!
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