रविवार, अक्तूबर 18, 2009

बुराई से गृहणा करो बुरे से नहीं |

कल भैयादूज का पावन अवसर है, यानि कि बहिन द्वारा भाई की सुख कामना करने का, और भाई के द्वारा बहिन की रक्षा का बचन देना, वैसे तो यह पर्व हर वर्ष आता है, और परतेक वर्ष बहिन पूजा की थाली सजा कर भाई की सुख कामना करती है, पूजा की थाली में होता है, रोली,चावल,नारियल,दीप और मिठाई, बहिन का थाली में नारियल रखने का अभिप्राय होता है,अगर भाई पर संकट आये तो यह संकट नारियल पर आये और भाई सुरक्षित रहे,और भाई हर परिस्थिति में बहिन की रक्षा करे, भाई का इस पर्व पर विवाहित बहिन के घर जाने का कारण है, भाई को बहिन की स्थिति का आभास हो जाये |
  आप लोग सोचने लगे होंगे की शीर्षक तो है, बुराई से गृहणा करो बुराई से नहीं, परन्तु लिखना प्रारंभ कर दिया भाईदूज के बारे में, इसका कारण यह है, हमारी बेटी हमारी एकलौती संतान है, वैसे तो उसके रिश्तेदारी में सात भाई है, पर हर समय तो वोह उसके साथ नहीं रह सकते हैं, उसके मन में भाई के लिए कसक सदा बनी रहती थी |
  उसका हमारी कोलोनी में रहने वाला वोह लड़का जो कि मार पिटाई और हर समय उधम करने वाला, किस प्रकार उसका भाई बनावोह बता रहा हूँ , थी तो वोह गलतफेमी,हमारी बेटी हमारी कोलोनी से सड़क की ओर जा रही थी, और वोह लड़का बोल उठा "वाह", हमारी बेटी ने समझा वोह उसको कह रहा था, परन्तु वोह अपने भतीजे को कह रहा था,जो दही नहीं खाता उसके उस भतीजे ने उस दिन दही खाया था,इसलिए वोह अपने भतीजे को वाह कह रहा था, वैसे तो मुझे क्रोध नहीं आता और में स्थिति को समझने की कोशिश करता हूँ,फिर उसके बाद ही पर्तिक्रिया देता हूँ,पर हूँ तो इंसान ही  कोई भगवान नहीं, और साथ में पिता भी तो इंसान होने के नाते में आवेशित हो गया, और खड़ा हो गया सड़क के कोने पर उससे बात करने के लिए,किसी ने उसको यह खबर दे दी कि में उसकी पर्तीक्षा कर रहा हूँ,वोह भय के कारण घर से ही नहीं निकला, और संध्या समय वोह अपनी कोलोनी में रहने वाली रिश्तेदारी में लगनी वाली बहिन के साथ हमारे घर आया,और मेरी पत्नी ने उसके सामने हमारी बेटी से  उसके सामने राखी बंधवा  कर बहिन बनाने की पेशकश की,और वोह सहर्ष मान गया, और उसने हमारे पुत्र और हमारी बेटीके भाई का  स्थान ले लिया, और उसने हमारे पुत्र और उसका भाई बन कर अपनी बहिन की रक्षा का प्रमाण भी दिया, हमारी बेटी युवा अवस्था को प्राप्त कर चुकी थी, एक हमारी कोलोनी का दूसरा लड़का उसको परेशान करता था, और हमारे मूह्बोले पुत्र और हमारी बेटी के मूह्बोले भाई ने यह सब देखा,था तो वोह उदंडथा ही,  और उसके पुलिस के इंसपेक्टर इत्यादी से अच्छे सम्बन्ध थे, उसने उस परेशान करने वाले के लड़के के सामने पुलिस इंसपेक्टर को ला  खड़ा कर दिया,और उस परेशान करने वाले लड़के ने उसके बाद हमारी बेटी को कभी तंग नहीं किया, अब तो हमारे मूह्बोले पुत्र का विवाह हो चुका है,और उसके दो पुत्र भी हैं, और हम लोगों को उस हमारे पुत्र और उसकी बहु के कारण सदा  उसके माँ,बाप होने का एहसास होता है, और हमारी बेटी का उसके साथ राखी और भाईदूज का पावन त्यौहार मनाती है |
  क्योंकि हमारा पुत्र शरारती तत्व था, तो उसके मित्र भी शरारती होंगे यह तो जाहिर सी बात है, उसका एक मित्र था जिस का काम दिन रात आवारागर्दी में जाता था, मैंने उसको समझाया कि "तुम दिन,रात आवारागर्दी करते हो कोई काम क्यों नहीं करते,"
 बेचारा पड़ा लिखा तो कम था,कभी दिल्ली में बस ड्राईवर था, उसने बस ड्राईवर की नौकरी क्यों छोड़ी वोह तो मुझे ज्ञात नहीं, परन्तु उस पर मेरी बात का प्रभाव पड़ा और मैंने एक दिन देखा वोह डेयरी से बहुत अधिक मात्रा में,दूध खरीद रहा है, मुझे कुछ समझ में नहीं आया, जब मैंने  हमारे घर से बहार निकलने वाली सड़क पर हलवाई की दूकान के नीचे कड़ाही पर रखा गरम होता दूध देखा और बहुत से कुल्हर, छुआरे देखे  तो समझ में आया,कि इसने ग्राहकों को गरम दूध पिलाने का कार्य प्रारंभ कर दिया  था, उसने यह नेक काम प्रारंभ कर दिया था,परन्तु एक दिन मुझे खबर मिली कि उसको किसी ने गोली मार दी,और मुझे दुःख हुआ जब यह लड़का अच्छा काम करने लगा, उसके बाद हो गया गोली का शिकार |
  इन घटनाओ के बाद दिमाग में यही आता है, बुराई से घृणा करो बुराई से नहीं, और इस कड़ी की अंतिम घटना बता रहा हूँ ,
हमारी कामवाली की बेटी कभी,कभी अपनी माँ की अनुप्स्थ्ती में हमारे घर काम करने आ जाती है, वोह उन दिनों नवीं कक्षा में पड़ती थी,और उसको में गणित पड़ा दिया करता था, परन्तु उसे चोरी की गन्दी आदत थी,और एक दो बार मैंने उसे रंगे हाथो भी पकड़ा था, एक दिन जब मैंने उसे चोरी करते हुए पकड़ा तो मैंने उसे कहा,"अगर तुम्हारा काम कम पैसों के कारण नहीं चलता तो तुम कोई ऐसा कोर्स क्यों नहीं कर लेती,जिससे तुम्हे कुछ आमदनी हो जाए",और मेरी बात का उस पर ऐसा प्रभाव पड़ा, उसने सिलाई का कोर्स कर लिया,आज किसी दूसरे घर में काम कर रही है,और आवयश्कता पड़ने पर हमारे घर भी काम करने आ जाती है,और अपनी आवयश्कता के अनुसार लेडीज कपड़े सिल कर अपना खर्चा निकाल रही है |
         बुराई  बुरी होती है,ना की  बुरे लोग  को अवसर तो दीजिये बुराई को समाप्त करने का |
सब भाई,बहिनों को इस पवित्र उत्सव पर बहुत,बहुत शुभकानाएं |

3 टिप्‍पणियां:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत बढिया पोस्ट लिखी है।बधाई।

संगीता पुरी ने कहा…

अच्‍छे विचार हैं आपके !!

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत शुभकामनाएँ.