शनिवार, अक्तूबर 03, 2009

नाना नानी बनने के बाद लगता है,इतिहास अपने को दोहरा रहा है



हम दोनों नाना,नानी बन गये, और अब मेरी बेटी ,ने  लगभग  ने चार साल पहेले एक लड़के को जन्म दिया था,जिसकी फोटो ऊपर दी हुई है, अपनी बेटी के जन्म के समय तो रोजी के लिए काम करने के कारण बहुत व्यस्त जीवन था, उस समय तो बेटी के जन्म लेने से लेकर बड़े होने तक और उसकी शादी होने तक,उस को इतने करीब से नहीं देख पाया, परन्तु फिर भी नाना बनने के बाद ऐसा लगने लगा कि, इतिहास कि पुनरावृति हो रही है, परन्तु अब तो अपने नाती को बहुत ही करीब से देख रहा हूँ,और लगने लगा है,इतिहास अपने को दोहरा रहा है, और इसी वर्ष की ८ जून को मेरी बेटी ने एक   बेटी को भी  जन्म दिया है |                                                   पहले हमारे नाती का जन्म लेना,और उसके बाद कुछ समय के बाद उसका अपनी गर्दन उठाना,और फिर उसका एक और से धीरे,धीरे सरकना,बहुत रोमांचित करने लगा, फिर उसका दूसरी और से भी सरकना, और उसका उसके बाद घुटनों चलना,एक अभूतपुर्ब ख़ुशी दे जाता था, उसका पहला प्यारा सा शब्द माँ कहना तो अभी तक कानो में गूंजता है, पहले उसका चलने का प्रयतन करना,और फिर आसपास की वस्तुओं को पकड़,पकड़ कर चलना और फिर चलना और डगमगा के गिर जाना,और फिर धीरे,धीरे चलना,और फिर चाल में गति पकड़ना,और फिर दोड़ लगाना अभी तक मानस पटल पर अंकित है, और इसी विषय में एक घटना याद आ रही है, अपनी आयु के बच्चो में वोह सबसे तेज भागता था,और अब उसको बोलना भी आ चुका था, और उसको माइक पर बोलना बहुत पसंद था, एक बार उसकी माँ यानि की मेरी बेटी ने अपनी कालोनी के किसी फंकशन में,उसका नाम दोड़ पर्तीयोगता में लिखवा दिया, दोड़ में तो सबसे आगे था,परन्तु उसको जजों के पास रखा हुआ माइक दिखाई दे गया,तो फिर क्या था,उसने तो रेस लगा दी माइक की ओर और वोह पहला पुरुस्कार लेने से वंचित रह गया, और थोड़ा बड़ा हुआ तो उसके माँ,बाप ने उसके लिए भी खिलोने ला दिए,जब वोह हमारे पास आता है,तो खिलोने और सोफा,कुर्सियों के कवर सारे अस्त,व्यस्त होते हैं, अब तो लिखना सीख गया है, और लिखने का बहुत शौक है, डायरी,पेन तो यदा,कदा ही छूटते हैं उसके हाथ से, कार्टून पिक्चर भी देखनी होती हैं,कंप्यूटर पर गेम भी खेलना होता है,किसी भी चीज को बंद नहीं करने देता, उसके चले जाने के बाद तो एक सन्नाटा सा पसर  जाता है,अब तो उसका नर्सरी में दाखिला हो चुका है |
  नातिन भी आ चुकी हैं,अभी तो केवल दूध ही पीती है,और करवट लेना जन्म के तीन दिन बाद ही सीख गयी थी, अब तो उल्टा होना भी सीख गयी है, उससे बात करो तो मुस्कराती हैं, चुप हो जाओ तो रोती हैं,थोड़ा सा भी शोर होता है सोते से जाग जाती है, मुझे याद आता है,हमारी बेटी से बात करते रहो तो उसको अच्छा लगता था,ना बात करो तो रोने लगती थी,हम लोग अपनी बेटी के कान के पास ट्रांजिस्टर रख देते थे,उसको लगता था,सचमुच में कोई बात कर रहा है,शायद हमारी नातिन,बड़े हो कर के बेटी की हरकतों की पुरावृति करेगी, एक बार हमारी बेटी ने गुडिया,गुड्डे की शादी रचाई,और हमारी फैक्ट्री की कालोनी में सब को हमारे को बिना बताये निमंत्रण दे डाला,अब सब लोग गिफ्ट ले कर आ गये,पर हम लोगों के पास उनके स्वागत के लिए कुछ नहीं,आनन फानन में,बाजार से गुड्डे,गुड्डी की शादी में निमंत्रित लोगों के लिए खाने का सामान लाया गया, एक बार उसने अपनी सब सहेलियों को एकत्रित कर के घर की छत पर बुलाया और,फ्रिज में रखे हुए सारे,चीकू अपनी सहेलियों को चीकू बाट के समाप्त कर दिए, लगता है,हमारी नातिन भी यह सब करेगी,और इतिहास दोहराया जायेगा |
      हमारे नाती को विडियो गेम खेलना आ गया है,बस यह नहीं पता कैसे हार,जीत होगी लेकिन कंप्यूटर के की बोर्ड से विडियो गेम का संचालन तो आ ही गया है, जब भी में उसी गेम के बारे में और जानकारी लेना चाहता हूँ,वोह मुझे की बोर्ड छुने ही नहीं,देता हमारा दामाद कहता आप समझते हो क्या आप को यह कुछ करने देगा?,परन्तुहमारे लिए  तो उसका गेम खेलना और गेम के कारण किलकारी मारना ही गेम है,और उसी को हम दोनों एन्जॉय करते हैं, नाती,और नातिन की शैतानिया देख कर यही लगता है,की इतिहास अपने को दोहरा रहा है |

1 टिप्पणी:

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सही लिखा आपने .. इतिहास ही अपने को दुहराता है .. अपने बच्‍चों के समय व्‍यस्‍तता होने से हम उनके क्रियाकलापों पर उतना गौर भी नहीं कर पाते .. पर नाती नातिनों के क्रियाकलापों को देखकर बहुत खुशी होती है .. इसलिए तों मूलधन से सूद को प्‍यारा कहा गया है .. बहुत प्‍यारी पिक्‍चर है उसकी !!