गुरुवार, जुलाई 23, 2009

२५ जुलाई को है मेरी पत्नी का जन्मदिन

आज २३ जुलाई २००९ है, और आज से दो दिन बाद यानि की २५ जुलाई को मेरी पत्नी का है जनम दिन, परन्तु यह नहीं बताऊंगा का कौन सा है उसका जनमदिन, इस वर्ष का उसका जनमदिन विशेष है, आसमान मैं बादल छाए हुए हैं, लगता है मेरी पत्नी के जन्मदिन से दो दिन पहले ही वर्षा ने उसके जन्मदिन की त्यारी कर ली है, यह तो नहीं मालुम २५ जुलाई को वर्षा होगी की नही, बादल के घिरने की आंख मिचोली तो चल रही है, सयोंग की बात है कल हरियाली तीज भी है, अब पहेले जैसे सावन की झड़ी तो नहीं लगती, और आसमान के शितिज मैं उगने वाला कहाँ चला गया वोह इन्द्रधनुष, और इस साल तो बहुत बार वर्षा के बारे मैं मौसम व्हिवाग भी सही जानकारी नही दे पा रहा, वर्षा की आंख मिचोली तो चलही रही है।
परन्तु इस वर्ष उसके जन्मदिन की विशेष बात है, इस साल हमारे घर मैं हमारी नातिन का आना,जिसके कारण मुझे याद आ रहा है, वोह पुराना गाना "मेरे घर आई एक नन्ही परी", और आज से तीन साल पहले आया था मेरा नाती, आज हमारी बेटी, और उसके दोनों बच्चे आज हमारे घर पर हैं, इस बार मेरा मन खुश हो कर के कह रहा है, " लगी सावन की झड़ी है, पता नहीं यह झड़ी २५ जुलाई को लगती है की नही, परन्तु नाचे मन मयूर मेरा।



Happy Birthday to you on 25th july

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२२ जुलाई का एक और सूर्यग्रहण

२२ जुलाई को चाँद ने सूर्य को पूर्ण रूप से ढक लिया जो की अब १३२ साल बाद देखने को मिलेगा , जो कि इस सदी का सबसे बड़ा सूर्यग्रहण था, विश्व मैं अनेको स्थान पर यह सूर्यग्रहण देखने को मिला था, कही पर पूर्ण रूप से और कही पर आंशिक रूप से, किसी भी ग्रहण के समय सुतक लगने के कारण मंदिरों के कपाट ग्रहण की सम्पाती तक बंद हो जाते है, यह तो मान्यता है कि ग्रहण के समय मैं पूजा पाठ,जप इत्यादि श्रेयस्कर रहते हैं, और ग्रहण समाप्त होने के बाद पवित्र नदियों मैं स्नान करना चहिये, मुझे यह तो नहीं पता कि इस प्रकार के क्रिया कलाप से मन्युष पर क्या प्रवाहाव पड़ता है ? ग्रहण के समय पूजा पाठ या मंत्र जाप से आत्मा का शुद्धिकरण होता है कि नही, या पवित्र नदियों मैं स्नान करने पर शरीर का शुद्धिकरण होता है की नही, जब सूर्यग्रहण अपनी चरम अवस्था की ओर धीरे,धीरे अग्रसर हो रहा था, चंद्रमा धीरे धीरे सूर्य को ढक रहा था, इस अद्भुत खोगोलीय नज़ारे को देखने के लिए हजारो लाखो लोग विश्व के अनेको स्थानों पर एकत्रित हो रहे थे, तारेगना पर तो देश विदेश के अनेको लोग इस नजारे को देखने के लिएय एकत्रित थे, और बादलो के आ जाने के कारण इस घटना नही देख पाए, बनारस मैं यह पूर्ण सूर्यग्रहण सबसे सुंदर दिखाई दिया, इस खुबसूरत नजारे को आसमान दिखाने के लिए यात्रियो को लेकर एक विमान उड़ा और दूसरे विमान मैं विज्ञानिक इसके शोध के लिए आसमान मैं के लिए उड़े, उस समय हमारे देश भारत मैं बहुत से बीमार और अपंग बच्चो पर ग्रहणभी लग रहा था, वैसे तो यहाँ अन्धविश्वास भरा पड़ा है, ना जाने कितने लोग अंधविश्वासों से ग्रसित है, कितने धर्म के ठेकेदार इस अंधविश्वास को बढावा दे कर अपना उल्लू सीधा करते हैं, और इस पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय तो इस अंधविश्वास की पराकाष्ठा हो गयी।
इस सूर्य ग्रहण के समय पर करनाटक के गुलबर्गा जिले मैं,छोटे छोटे मासूम अपंग और वीमार बच्चो को यह सोच कर की इनका रोग ठीक हो जाएगा,उनके कपड़े उतार कर के जमीन मैं गले तक दवा दिया, और यह क्रम तब तक चलता रहा जब तक यह इस ग्रहण के शुरू होने के बाद अंत हो गया, विचारे मासूम अपंग और वीमार बच्चे बेबस से होकर के विलाप करते रहे,और इस क्रूरता से उन बेबस बच्चो को बचाने वाला कोई नही था, मालुम नहीं इस प्रकार अंधविश्वास के नाम पर इस तरह की यातना देने का क्रम कब तक चलता रहेगा , सदी के सबसे बड़े सूर्यग्रहण पर बच्चो पर इस प्रकार यातना देने वाला एक और ग्रहण पड़ा था ,ऐसा था इस सदी का एक और ग्रहण जो कि अपंग और बीमार बच्चो पर पड़ा, पता नहीं इस प्रकार के यातना देने वाले अन्धविश्वास कब तक चलते रहेंगे, यह जब यह सत्य एक न्यूज़ चैनल Indiatv ने उजागर किया तो उस जिले के जिलाधिकारी ने इस घटना की जाँच के आदेश दे दिए, इस प्रकार इन बेबस बच्चो पर ऐसा था पूर्ण सूर्यग्रहण।

मंगलवार, जुलाई 21, 2009

सुबुधि पर दुर्बुधि क्यो जल्दी हावी होती है एक प्रशन

आज मुझसे ऐसी गलती हो गई, जिसका मुझे अ़ब पशचाताप हो रहा है,किसी से कोई वायदा किया था,परन्तु उसके साथ वायदा निभा ना सका,और उससे मेरा सम्बन्ध विच्छेद हो गया,और सोचता हु, दोवारा उससे संपर्क होगा कि नही, ह्रदय में एक टीस सी उठती है,और मन बेचेन हो जाता है, केवल एक दिन का संपर्क था,और अगले दिन का वायदा करके मैंने उससे वायदा तोड़ दिया,और उसने मेरे से मुँह मोड़ लिया, पता नहीं भविष्य क्या मोड़ लेगा,और में यह सोच कर परेशान हो गया।
ईश्वर ने इस संसार मैं अनेको जीव,जंतु उत्पन्न किए, और उसमे से स्त्री,पुरूष का जोड़ा भी बनाया था, बाइबल के अनुसार,ईश्वर ने ऐडम और हब्बा की सरंचना की थी, वोह लोग खुदा के बाग मैं रहते थे, और उस बाग में एक सेब का पेड़ था, जिसका फल खाने को खुदा ने उन दोनों को मना किया था,परन्तु एक दिन हव्वा ने ऐडम से उस पेड़ के फल के खाने की जिद की,और जो की निषिद्ध फल (forbidden apple) था वोह ऐडम ने खा लिया, और बाइबल के अनुसार मन्युष में इस प्रकार अच्छाई पर बुराई ने जनम ले लिया, और इस प्रकार मन्युष की वंशविरिधि होने लगी, इसा मसीह जो की खुदा के बेटे थे, उनको लोगो ने सूली पर चडा दिया, तिस पर भी उनोहने "अपने दोनों हाथ उठा कर खुदा से कहा, 'ये खुदा इनको माफ़ कर क्योकि यह नही जानते क्या कर रहे है", कुरान के हिसाब से मोहम्मद साहिब जो खुदा के पैगम्बर थे, उनको भी लोगो ने मार डाला, इन्सान की सुबुधि पर दुर्बुधि इस कदर हावी हो जाती है, कि वोह खुदा के बेटे या खुदा के पैगम्बर को नहीं छोड़ते,यह तो हुई ग्रंथो की बात, और तो और देवता भी इन्सान की सुबुधि पर दुर्बुद्धि को हावी करने का प्रयत्न करते हैं, विश्वामित्र जिनोहोने घोर तप किया, और इन्द्र भगवन को लगने लगा की उनका आसन संकट मैं हैं, तो इन्द्र ने स्वर्ग की अप्सरा मेनका को उनका तप भंग करने के लिए भेजा और विश्वामित्र का सयंम उसके मोहक निरित्य के आगे डोल गया और वोह मेनका के साथ पारिवारिक बंधन मैं,बंध गए और कालांतर मैं, भरत जिनके नाम पर भारत पड़ा उसके पिता हुए, इसी क्रम मैं गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या का नाम याद आ रहा है, इन्द्र ने छल से अहिल्या की पत्नी का संसर्ग करने की इच्छा की और परिणाम भुगतना पड़ा बिचारी अहिल्या को गौतम ऋषि के कोप के कारण उसे शिला होना पड़ा, जिसका बाद मैं श्री राम के द्वारा उद्धार हुआ, इन्द्र जैसे देवता जब ऐसा करते है,तो मन्युष की क्या औकात?
यह सब तो हुई धार्मिक कहानिया, सुकरात को जहर का प्याला पीना पड़ा, क्या बुरा वोह करता था,केवल यही तो कहता था, जो सही लगे उसका पालन करो, बस येही तो दोष था बेचारे का, और उसने कीमत चुकाई जहर का प्याला पी कर, गलिल्यो के समय यह मान्यता थी, की सूर्य पृथिवी के चारो ओर घुमती है, परन्तु उसने इसका परतिवाद क्या और उसको भी जान गवानी पड़ी, इससे क्या सिद्ध होता है, अधिंकाश लोगो की सुबुधि पर दुर्बुधि हावी होती है, या यु कहा जा सकता है, अच्छाई पर बुराई शीघ्र हावी होती है।
और बुराई इन्सान को गर्त मैं धेकलती जाती है, कुछ बुराई तो मजबूरी बश होती है, जैसे अगर किसी के घर मैं खाने का अवाभव है तो वोह अपनी और अपने परिवार की शुधा शांत करने के लिए चोरी ही तो करेगा, यह जानते हुए भी की चोरी बुराई है, और पुलिस द्वारा बार बार पकड़े और छुटने के कारण उसकी यह आदत बन जायगी, किसी इस्त्री को अगर बलपूर्वक वैश्या बना दिया जाए, तो वोह लाख प्र्यतन के बाद भी वोह इस जंजाल से नहीं निकल पाती यह तो होता है मजबूरीवश, कहते हैं गुरु ही बुराई को अच्छाई मैं परिवर्तित करता है, परन्तु ऐसे गुरु आज कल मिलते ही कहा है,जो की शिष्य के आचरण को ही परिवर्तित कर के ऐसा कर दे की उसका अन्तकरण: ही बदल जाए और शिष्य के मन मैं दुर्बुधि के स्थान पर सुबुधि अंकुरित हो?
और तो और आज के समाज मैं अच्छाइयों के साथ जीना ही दुर्लभ हो रहा है, कोई ऐसा गुरु कहाँ मिलता है, जो की कृष्ण की तरह इस समाज की बुरइयो से लड़ते हुए जीना सिखा दे?

रविवार, जुलाई 19, 2009

People of fair skin vs black and brown skin

I am starting to write this blog, a question always arises in my mind, is the western countries like united kingdom and united states of America is really democrat, I do not know about other countries where white skin race is residing, but I am well versed with the persons of America and England, I normally observe the racial difference between white and black and brown skin people,though they do not say but undercurrent is there.

Every one know that Barrack obama was elected the 44th president of united states, he showed the dreams to American masses that is why he was elected the president of America, and the history was created, still question arises in my mind is America is really democratic by heart, the American system is democratic, but why white Bush the 43rd president of America sprayed some thing on his hand after shaking hand with black obama, is it democracy?, I know many Indian having brown skin are there in united states and also having u.s citizenship,but has American accepted them by heart.

Now coming to u.k or which is also called united kingdom,does they are really democratic the term like paki is there product,which is used for indian and pakistanis, is it democracy in united kingdom.
It is well known when our indian heroine was participating in big boss in she wept due to racial comments, the fellow white people called her names, though she won the title, at that time how much agony she might have felt, everybody knows the name of jade gudy who made her cry, as she is indian and having dusky skin,is this democracy in there heart?
we indian cares for everyone wheather persons are having fair or dark skin, we mingle with everyone and gives the helping hand without discreetion, here peeple of all clours and religon are accepted that is what i call democracy.
I am a very senstive and emotional person, i have hobby to chat with persons on internet made for indians, i have many foriegn friends on internet, i accept them by heart,but when i go on foriegn site very few pepole accepts me, most of them mostly interact within themselves,that made me to write this blog as i felt disheartened.

पैसा पैसा और केवल पैसा

अभी,अभी आवेश जी के द्वारा लिखित एक लेख पड़ा, शर्म,शर्म,शर्म जो कि स्टार पलस पर प्रसारित होने वाले नएसीरियल "सच का सामना के बारे मैं था", केवल पैसे के लिए नेतिकता कहाँ तक गिर गयी है, बात इस कार्यक्रम मैंभाग लेने वालो कि हो या इस सीरियल के प्रसारित होने वाले सीरियल की हो, आश्चर्य होता है, पैसा कमाने के लिएइस मैं भाग लेने वाले और दूरदर्शन पर स्टार पलस सीरियल की T.R.P बढ़ाने की हो, इन अश्लील सवाल,जवाब मैंनेतिकता कहाँ तक समाहित है, पता नहीं इस देश के आदर्श कहाँ तक जा रहे हैं, केवल पैसे के लिए, चलचित्र पर तोसेंसर की कैंची है जिसकी संख्या दूरदर्शन पर प्रसारण से कम है, परन्तु दूरदर्शन पर क्यों नहीं।
बहुत दिनों से यह भी विचार रहा था कि बच्चो का रियलिटी शो मैं भाग लेने पर उनके रियलिटी शो मैं से निकलजाने पर इन बच्चो की कोमल भावना पर कैसा विपरीत मनोवेगयानिक प्रभाव पड़ता है, एक बच्चे पर रियलिटीशो के जज के कटु शब्दों का ऐसा प्रभाव पड़ा कि उसको चिकत्सालय मैं दाखिल करना पड़ा, यह भी तो चैनल कीबढ़ाने के लिए बच्चो के कोमल भावनाओ से खिलवाड़ ही नहीं तो और क्या है, बच्चे शो मैं से निकलने केबाद कैसे सिसक,सिसक के रोते हैं,पर चैनल को इसकी सुध कहाँ, बस उनको तो केवल पैसा कमाना है,अब जा करसरकार ने इसकी कुछ सुध ली है,अभी तक तो इसके बारे मैं कोई विधयेक नहीं बना, जिसके बारे मैं प्रारम्भ से हीविचार होना चहिये था, बच्चो की इस कोमल अवस्था पर सब से अधिक मनोवाज्ञानिक प्रवहावपड़ता है, मैं यह नहींकहता की इस प्रकार के कार्यक्रम नहीं होने चहिये,उनके सरवान्गिन विकास के लिए अवशयक हैं, परन्तु इसमेपरतीस्पर्धा बिल्कुल नहीं होनी चहाहिए जिसके कारण उन बच्चो पर मनोवाज्ञानिक दवाब ना बने,शारीरकअक्षमता जब तक असाध्य नही हो ठीक हो जाती है,अगर मनोवाग्यानिक रूप से बच्चा कमजोर हो गया, मनोवागय्निक चिकत्सक से इलाज कराने के बाद भी पूर्ण रूप से भावनात्मक रोग से नहीं निकल पाता, और यहभाव्नाक्त्मक रोग उसके आगे के विकास मैं बाधक हो जाता अब, क्यों यह रियलिटी शो बच्चो के साथ खिलवाड़कर रहे हैं,केवल पैसे के लिए?
अब आता हूँ खेल जगत पर,क्रिकेट इस देश मैं सबसे लोकप्रिय खेल है, और इसकी हालत इस प्रकार है, अब सालके लगभग ३६५ दिन मैं इस खेल को देख लो, जिसमे अधिकतर खिलाड़ी चोटिल हो रहे है, परन्तु क्रिकेट संचालकोके पास पैसा पहुँच रहा है, खिलाडियों के स्वास्थय पर इसका जो परतिकुल प्रवहाव पड़ रहा है, उसकी चिंता किसकोहै, अब तो इस खेल का स्वरुप ही बदल गया है, पहेले तो पॉँच दिन का खेल होता था, और दो दिन के बाद विश्राम केबाद खिलाड़ी नई सफूरती के साथ खेलते थे, फिर इसने ५० ओवर का स्वरुप लिया जो की फिर भी गनीमत थी, अबतो इसने २०-२० का स्वरुप ले लिया है, जानी,मानी हस्तियों ने खिलाडियों को खरीद लिया है, और इसकीलोकप्रियता के कारण तपती गर्मी हो, पर यह क्रिकेट लगभग परतिदिन हो रहा है, खिलाडियों का स्वास्थय ख़राबहो रहा है तो हो, परन्तु इन हस्तियों का पैसा तो बन रहा है, खिलाडियों का स्वास्थय खराब हो तो हो, जो खेललोकप्रिय नहीं हैं उनके स्पांसर नहीं मिलते, और उन खेलो के कारण पैसा नहीं बनता, देश का राष्ट्रीय खेल हॉकी गर्तमैं चला गया है, क्योकि लोकप्रिय ना होने के कारण उससे कोई अधिक कमाई नहीं होती, इसी प्रकारटेनिस,बदमिन्तों,बोक्सिंग इत्यादि मैं, इतना पैसा नहीं है, जितना क्रिकेट मैं है, क्रिकेट मैं कमाई होने के कारण यहखिलाड़ी लोकप्रिय है, बच्चा,बच्चा इनका नाम जानता हैं, परन्तु और खेलो मैं अगर कोई खिलाड़ी शीर्ष पर पहुँचताहै,तो उसका नाम परसिद्ध हो जाता है, परन्तु इन खेलो मैं क्रिकेट की अपेक्षा मैं पैसे की कमाई ना होने के कारणकुछ ही खिलाड़ी लोकप्रिय हो पाते हैं, जो कि अपने अथा परिशर्म के कारण शीर्ष पर पहुंचते हैं।
अंत मैं येही कहूँगा "ना बाप बड़ा भइया सब से बड़ा रुपैया"