tag:blogger.com,1999:blog-3401854626725493169.post6576667556942444251..comments2023-07-20T03:21:30.003-07:00Comments on मेरा ब्लाग..MY BLOG: यह लेखों की श्रृंखला राजीव कुमार कुलश्रेष्ठ जी कहने पर लिख रहां हूँ | प्रथम भागVinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3401854626725493169.post-68240865859705362432010-08-18T18:55:21.555-07:002010-08-18T18:55:21.555-07:00बिना विरोध की परवाह करते हुए अपना लेखन जारी रखें। ...बिना विरोध की परवाह करते हुए अपना लेखन जारी रखें। मान्यता औऱ आस्था सच्ची होती है जिसे खुद ऊपरवाले ने कई बार स्थापित किया है। अगर अल्पज्ञानी चिल्लायेगा तो क्या आप रुक जाएंगे। आप अपना कर्म करें जिसे मानना है वो मानेगा जिसे नहीं वो नहीं पढ़ेगा। कोई किसी के कहने से नहीं पढ़ता. कोई किसी को बुलाने नहीं जाता कि आओ पढ़ो। तो बिना विरोध की परवाह किए बेझिझक होकर लिखिए।Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3401854626725493169.post-37901381264550414042010-08-17T06:57:31.918-07:002010-08-17T06:57:31.918-07:00धन्यबाद विनय जी । इंतजार रहेगा । आपकी
निर्भयता बड...धन्यबाद विनय जी । इंतजार रहेगा । आपकी <br />निर्भयता बडती जा रही है । ये देखकर और जानकर खुशी<br />हुयी । वैसे बिना कमेंट किये ही जा रहा था । पर सोचा ।<br />शुभारम्भ के इस अवसर पर टिप्पणी करना ही उचित है ।<br />सही ग्यान इंसान को या आत्मा को निश्चय ही परमात्मा<br />से मिला देता । आज मैं गुप्त रूप से कोई बात आपको<br />न भेजकर खुले आम एक संत वाणी बताता हूं ।<br />तू अजर अनामी वीर भय किसकी खाता ।<br />तेरे ऊपर कोई न दाता । वास्तव में ये आत्मा ये चीज<br />है । जिसकी इंसान ने वासनाओं में पडकर इतनी दुर्गति कर ली<br />कि चौरासी लाख बन्धनों में बंध गयी । <br />जो विषया संतन तजी ( काम वासना ) मूढ ताहि लपटात ।<br />नर ज्यों डारत वमन कर स्वान स्वाद सों खात ।<br />satguru-satykikhoj.blogspot.commukta mandlahttps://www.blogger.com/profile/15157348406429932150noreply@blogger.com