tag:blogger.com,1999:blog-3401854626725493169.post3739561227588870236..comments2023-07-20T03:21:30.003-07:00Comments on मेरा ब्लाग..MY BLOG: सहानभूति पर्दर्शित करने से उत्तम है,अनुभूति करनाVinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3401854626725493169.post-62263073729911290502009-12-05T22:27:37.157-08:002009-12-05T22:27:37.157-08:00कुछ होश नहीं रहता, कुछ ध्यान नहीं रहता।
इंसान मोहब...कुछ होश नहीं रहता, कुछ ध्यान नहीं रहता।<br />इंसान मोहब्बत में, इंसान नहीं रहता।।<br /><br />Vikas Gupta<br />vforvictory09@gmail.comVikas Gupta विकास गुप्ताhttps://www.blogger.com/profile/07141189035038586465noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3401854626725493169.post-52059011289567436882009-12-04T15:50:12.178-08:002009-12-04T15:50:12.178-08:00मुझे लगता है कि अगर हाथ जल जाये तो तुरंत ठंडा पानी...मुझे लगता है कि अगर हाथ जल जाये तो तुरंत ठंडा पानी डाल देने से राहत मिलती है और फिर धीरे धीरे इलाज से घाव जाता रहता है.<br /><br /><b><br />वैसे ही सहानुभूति त्वरित राहत के लिए आवश्यक है और अनुभूति कर मदद करना उपचार स्वरुप है.<br /><br /></b><br /><br />दोनों की अपनी महत्ता है.<br /><br />राहत के आभाव में शायद पीड़ित उपचार हेतु मनोबल ही न जुटा पाये और बात बिगड़ जाये.<br /><br /><br />--विचार अच्छा किया है आपने.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com