tag:blogger.com,1999:blog-3401854626725493169.post2810570963639382107..comments2023-07-20T03:21:30.003-07:00Comments on मेरा ब्लाग..MY BLOG: जब भगवान से साक्षात्कार की ख़ुशी नहीं,मिलती तो इंसान क्षणिक ख़ुशी खोजता है |Vinashaay sharmahttp://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3401854626725493169.post-33129621775695443982010-08-16T19:19:58.067-07:002010-08-16T19:19:58.067-07:00विनय जी । अब आपके दोनों ब्लाग मेरे सिस्टम पर आराम ...विनय जी । अब आपके दोनों ब्लाग मेरे सिस्टम पर आराम से खुलने<br />लगे । आपकी नयी पोस्ट मुझसे ही रिलेटिड थी । इसलिये वहां टिप्पणी<br />करना मुझे उचित नहीं लगा । पर आपका ये लेख मुझे अच्छा लगा ।<br />पं डी के शर्मा वत्स जी की आधी बात सही है । अंतकरण में गुरु होता है ।<br />जो वास्तव में अंतकरण में नहीं आंतरिक होता है । और ये सबके ही पास<br />होता है । फ़िर गुरु की आवश्यकता ही क्या है ? वास्तव में शरीर युक्त सच्चे<br />गुरु हमें आंतरिक गुरु से मिला देते हैं । और स्पष्ट रूप से हमारी कई समस्याओं<br />का समाधान भी करते हैं । मैं आपका एक लेख " ईश्वर ने सृष्टि क्यों बनाई "<br />अपने ब्लाग पर प्रकाशित कर चुका हूं । इस लेख के भी प्रश्नों पर अपना<br />नजरिया रखने के लिये ले जा रहा हूं । आपने पं डी के शर्मा वत्स जी <br />के लेख का शीर्षक नहीं लिखा । अन्यथा उसको भी पडकर पंडित जी के<br />विचार जानता । अंत में आपका बहुत बहुत धन्यबाद ।सहज समाधि आश्रमhttps://www.blogger.com/profile/12983359980587248264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3401854626725493169.post-68656470584401057032010-02-28T12:12:25.365-08:002010-02-28T12:12:25.365-08:00जब जीवन ही क्षणिक है तो सुख-दुःख स्थायी कैसे हो सक...जब जीवन ही क्षणिक है तो सुख-दुःख स्थायी कैसे हो सकते हैं?Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.com