रविवार, फ़रवरी 27, 2011

कलम की निर्झरता बनी रहे,तो लेखन के विषय मैं विचार आतें हैं |

कलम की निर्झरता बनी रहे,तो लेखन के विषय मैं विचार आतें हैं |

बहुत दिनों कुछ तो व्यस्तता के कारण और,अन्य और भी अनेकों कारणों से कुछ नहीं लिख पाया, एक तो हमारे सर्विस प्रोविडर मैं,अनेकों प्रकार की
बाधायें आती रहीं,और बिजली रानी का तो क्या कहना,बिना कोई नोटिस दिए इसका आना जाना लगा रहता था, जबसे मुख्य मंत्री मायावती जी का हमारे क्षेत्र मैं दौरा होने वाला था, तबसे प्रशासन मायावती जी के आने के डर से जिले की व्यवस्था सुधारने मैं लग गया,भाई   तुलसीदास जी ने अपने काव्य ग्रन्थ मैं सही ही लिखा है,"भये बिना ना होती प्रीति", सागर ने जब रामचन्द्र जी के मांगने पर उनको लंका जाने का मार्ग नहीं दिया,तो लक्ष्मण जी के कहने पर,रामचंद्र जी ने सागर सुखाने के लिए अपना बाण साधा ,तब सागर ने अपनी मर्यादा की दुहाई देकर,दूसरा उपाय नल,नील द्वारा सागर पर सेतु बनाने को सुझाव दिया, अब इन प्रशासन के अधिकारीयों को जनता की सुबिधा से क्या लेना,देना,जनता तो इनको डरा नहीं सकती,इसीलिए तो व्यवस्था चरमरायी सी रहती है, और सुश्री मायावती जी के आने से बिजली व्यवस्था तो बिलकुल सुधर गयी है, पहले बिजली वालों से पूछो  क्या हुआ तो उत्तर मिलता था,यहाँ  तार टूट गया,वहाँ तार टूट गया,और मायावती जी के आने के बाद तो जर्जर तार तो बदले ही गए,और पुराने बिजली के खम्बे भी बदले गए मायावती जी के आने से पहले,और जब वोह आयीं तो बही कुछ कमियां देख कर उन्होंने अपने तेवर दिखा ही दिए, लिखने का मन तो था,पर मस्तिष्क अनिश्चता की स्थिति मैं था,और मन मैं यह भी था,कितने लोग पड़ेगें, हो सकता है,अवस्था कुछ अधिक हो जाने के कारण यह भी लगता है,पता नहींमैं जो भी लिखता हूँ, वोह आज के समय के अनुसार है, कि नहीं,पाठको मैं संभवत: मेरे लेखन मैं रूचि बहुत कम है,जिसका आभास मुझे,गिनी,चुनी टिप्पणियों से होता है, लेकिन मझे गुरु जी परमहंस योगानंद जी ने मुझे "स्वयं आभास करा दिया है", "अज्ञान से ज्ञान की  और ले जाने ","अशांति से शांति की ओर ले जाने को","इच्छाओं से संतुष्टि की ओर ले जाने को",तो मुझे कम टिप्पणियों के मिलने से कोई फर्क नहीं पड़ता,बस यह अवश्य सोचता हूँ,पाठकों मेरे विषयों को आत्मसात करते हैं,की नहीं, ना तो मेरे पास सामायिक विषय हैं,ना राजनितिक, इनके लेखन मैं मुझे रूचि नहीं है,इस ब्लॉग मैं तो अधिकतर ऐसे हीं विषय हैं,जो सार्थक  नहीं मेरे दुसरे ब्लॉग स्नेह्परिवार मैं,मेरे अनुसार सार्थक विषयें हैं,परन्तु उसका भी यही हाल है |
बहुत सारे लेख पड़ने का  समय मेरे  पास नहीं हैं, हाँ ब्लोग्वानी मैं लिखे लेख पड़  लेता था, मैं यह नहीं करता की  मेरा अमुक,लेख पड़ कर टिप्पणी दें,जैसा मेरे साथ होता है,और अंत मैं अपने मित्र राजीव कुलश्रेष्ठ जी को धन्यवाद देता हूँ,जिनोहने मेरे दोनों ब्लॉग सजा दियें हैं,अब समय मिलेगा तो उनके अग्रीगाटर "wordblog" मैं लिखीं हुईं पोस्ट पडूंगा |
राजीव जी मैं भटक गया था,जो मेरे पास "योगदा सत्संग सोसाइटी",के गुरु जी की शिक्षा के होते हुए कुछ कहा था, हाँ आपकी  धरोहर   से बहुत सहारा मिला है |


धन्यवाद राजीव जी

4 टिप्‍पणियां:

सहज समाधि आश्रम ने कहा…

मैं भी सोचूँ । कहाँ चले गये भाई ।
नई पोस्ट देखकर बहुत हर्ष हुआ ।
धन्यवाद विनय जी ।

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक ने कहा…

श्रीमान जी,मैंने अपने अनुभवों के आधार ""आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें"" हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है. मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग www.rksirfiraa.blogspot.com पर टिप्पणी करने एक बार जरुर आयेंगे.ऐसा मेरा विश्वास है.

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक ने कहा…

प्रिय दोस्तों! क्षमा करें.कुछ निजी कारणों से आपकी पोस्ट/सारी पोस्टों का पढने का फ़िलहाल समय नहीं हैं,क्योंकि 20 मई से मेरी तपस्या शुरू हो रही है.तब कुछ समय मिला तो आपकी पोस्ट जरुर पढूंगा.फ़िलहाल आपके पास समय हो तो नीचे भेजे लिंकों को पढ़कर मेरी विचारधारा समझने की कोशिश करें.
दोस्तों,क्या सबसे बकवास पोस्ट पर टिप्पणी करोंगे. मत करना,वरना......... भारत देश के किसी थाने में आपके खिलाफ फर्जी देशद्रोह या किसी अन्य धारा के तहत केस दर्ज हो जायेगा. क्या कहा आपको डर नहीं लगता? फिर दिखाओ सब अपनी-अपनी हिम्मत का नमूना और यह रहा उसका लिंक प्यार करने वाले जीते हैं शान से, मरते हैं शान से
श्रीमान जी, हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु सुझाव :-आप भी अपने ब्लोगों पर "अपने ब्लॉग में हिंदी में लिखने वाला विजेट" लगाए. मैंने भी लगाये है.इससे हिंदी प्रेमियों को सुविधा और लाभ होगा.क्या आप हिंदी से प्रेम करते हैं? तब एक बार जरुर आये. मैंने अपने अनुभवों के आधार आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है.मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
क्या ब्लॉगर मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं अगर मुझे थोडा-सा साथ(धर्म और जाति से ऊपर उठकर"इंसानियत" के फर्ज के चलते ब्लॉगर भाइयों का ही)और तकनीकी जानकारी मिल जाए तो मैं इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हूँ.
अगर आप चाहे तो मेरे इस संकल्प को पूरा करने में अपना सहयोग कर सकते हैं. आप द्वारा दी दो आँखों से दो व्यक्तियों को रोशनी मिलती हैं. क्या आप किन्ही दो व्यक्तियों को रोशनी देना चाहेंगे? नेत्रदान आप करें और दूसरों को भी प्रेरित करें क्या है आपकी नेत्रदान पर विचारधारा?
यह टी.आर.पी जो संस्थाएं तय करती हैं, वे उन्हीं व्यावसायिक घरानों के दिमाग की उपज हैं. जो प्रत्यक्ष तौर पर मनुष्य का शोषण करती हैं. इस लिहाज से टी.वी. चैनल भी परोक्ष रूप से जनता के शोषण के हथियार हैं, वैसे ही जैसे ज्यादातर बड़े अखबार. ये प्रसार माध्यम हैं जो विकृत होकर कंपनियों और रसूखवाले लोगों की गतिविधियों को समाचार बनाकर परोस रहे हैं.? कोशिश करें-तब ब्लाग भी "मीडिया" बन सकता है क्या है आपकी विचारधारा?

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक ने कहा…

मेरा बिना पानी पिए आज का उपवास है आप भी जाने क्यों मैंने यह व्रत किया है.

दिल्ली पुलिस का कोई खाकी वर्दी वाला मेरे मृतक शरीर को न छूने की कोशिश भी न करें. मैं नहीं मानता कि-तुम मेरे मृतक शरीर को छूने के भी लायक हो.आप भी उपरोक्त पत्र पढ़कर जाने की क्यों नहीं हैं पुलिस के अधिकारी मेरे मृतक शरीर को छूने के लायक?

मैं आपसे पत्र के माध्यम से वादा करता हूँ की अगर न्याय प्रक्रिया मेरा साथ देती है तब कम से कम 551लाख रूपये का राजस्व का सरकार को फायदा करवा सकता हूँ. मुझे किसी प्रकार का कोई ईनाम भी नहीं चाहिए.ऐसा ही एक पत्र दिल्ली के उच्च न्यायालय में लिखकर भेजा है. ज्यादा पढ़ने के लिए किल्क करके पढ़ें. मैं खाली हाथ आया और खाली हाथ लौट जाऊँगा.

मैंने अपनी पत्नी व उसके परिजनों के साथ ही दिल्ली पुलिस और न्याय व्यवस्था के अत्याचारों के विरोध में 20 मई 2011 से अन्न का त्याग किया हुआ है और 20 जून 2011 से केवल जल पीकर 28 जुलाई तक जैन धर्म की तपस्या करूँगा.जिसके कारण मोबाईल और लैंडलाइन फोन भी बंद रहेंगे. 23 जून से मौन व्रत भी शुरू होगा. आप दुआ करें कि-मेरी तपस्या पूरी हो